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गांधीनगर| गुजरात सरकार ने राज्य के विद्यार्थियों को श्रेष्ठ शिक्षा मिले इस उद्देश्य से केन्द्र सरकार द्वारा क्रियान्वित नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत इंजीनियरींग, मेडिकल, फार्मसी समेत अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रम मातृभाषा गुजराती में तैयार करने के लिए एक समिति का गठन करने का फैसला किया है| नेशनल फोरेंसिक सायन्स यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. जेएम व्यास की अध्यक्षता वाली इस समिति में कुलपति, इंजीनियरींग और मेडिकल कॉलेजों के शिक्षाविद समेत उच्च एवं टेनिकल शिक्षा अधिकारियों को शामिल किया गया है| राज्य के शिक्षा मंत्री और सरकार के प्रवक्ता जीतु वाघाणी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा क्रियान्वित की गई नई शिक्षा नीति 2020 के मुताबिक विद्यार्थियों को मातृभाषा में शिक्षा देने से सभी विषयों को समझने में काफी सरलता हो इस उद्देश्य से मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने यह महत्वपूर्ण फैसला किया है| उन्होंने कहा कि मातृभा, में कोई भी विषय की अभिव्यक्ति विचारों की मौलिकता और नए विचारों को प्रोत्साहन देता है| गुजरात में मातृभाषा गुजराती में शिक्षा देना जरूर नहीं बल्कि अनिवार्य होने और गैर सरकारी शैक्षिक संस्थाएं इस मुताबिक कार्यवाही करें और व्यावसायिक शिक्षा संस्थाएं सभी पाठ्य पुस्तक समेत अन्य साहित्य गुजराती में तैयार कराएं| वाघाणी ने कहा कि ऑल इंडिया कौंसिल फोर टेकनिकल एज्यूकेशन द्वारा व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का गुजराती में अनुवाद करने के लिए मानद वेतन दिया जाता है| इसके लिए राज्य सरकार ने जारी वर्ष के बजट में इंजीनियरींग की पुस्तकें गुजराती भाषा में अनुवाद करने के लिए रु. 50 लाख का आवंटन किया है और इसका काम गुजरात टेक्नोलोजी यूनिवर्सिटी को सौंपा गया है|