नई दिल्ली । अपने इस्तीफ़े में गांधी परिवार विशेषकर राहुल गांधी पर निशाना साधकर अलग हुए दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद पर कांग्रेस के नेताओं ने तंज़ कसा है।
कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, अजय माकन सहित कई नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर उन्हें आड़े हाथों लिया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा है कि, ”गुलाम नबी आजाद जी को कांग्रेस ने संगठन व सरकार में अनेक बार कई पदों से नवाजा। दो बार लोकसभा सांसद बनाया, जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया। उन्हें चुनाव की हार-जीत से बचाकर पांच बार राज्यसभा सांसद बनाया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी, मुझे इस बात का बड़ा दुख है।”
गुलाम नबी आजाद से आज मिले कश्मीर के एक कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जीएम सरूरी ने आजाद के बारे में कहा कि, ”वे बहुत बड़ा सताए हुए नेता हैं। कांग्रेस को बहुत कुछ दिया। पांच पन्नों पर उन्होंने अपना इतिहास लिखा है। उसे पढ़ें और देखें कि क्या होता है, जब उनकी बात पर अमल ना किया जाए, उनका तिरस्कार किया जाए। तो उसकी वजह यही है कि इंसान मजबूर होता है नया कदम उठाने के लिए।”
लेकिन गुलाम नबी आजादी की चिट्ठी मीडिया में आने के बाद कांग्रेस ने भी पलटवार किया। पहले पहले अजय माकन और जयराम रमेश ने गुलाम नबी आजाद को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आज जब कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ मंहगाई, बेरोजगारी और ध्रुवीकरण के मुद्दे पर सबसे ज्यादा लड़ रही है तब गुलाम नबी का साथ छोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है।
अजय माकन ने कहा, गुलाम नबी आजाद कई महत्वपूर्ण पदों पर पार्टी और सरकार में रहे लेकिन इस वक्त जब कार्यकर्ताओं के साथ उनको खड़े होना चाहिए, तब उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया है। खुद गुलाम नबी आजाद के साथ G 23 में रहे नेताओं ने भी उनकी आलोचना की। संदीप दीक्षित ने पत्र लिखकर कहा कि, ”हमने रिफार्म की बात कही थी, रिवोल्ट की नहीं।”
यही नहीं गुलाम नबी आजाद पर बीजेपी से निकटता बढ़ाने के आरोप भी लगे। जयराम रमेश ने ट्वीट करके कहा कि, ”जिस व्यक्ति को कांग्रेस नेतृत्व ने सबसे ज़्यादा सम्मान दिया, उसी व्यक्ति ने कांग्रेस नेतृत्व पर व्यक्तिगत आक्रमण करके अपने असली चरित्र को दर्शाया है। पहले संसद में मोदी के आंसू, फिर पद्म विभूषण, फिर मकान का एक्सटेंशन यह संयोग नहीं सहयोग है।”