दिव्य यात्रा की शुरुआत: श्रावण मास के शुभ समय में मोरारी बापू की ऐतिहासिक 12 ज्योतिर्लिंग रामकथा ट्रेन यात्रा

उत्तराखंड, 20 जुलाई, 2023: प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और रामायण के प्रसिद्ध प्रचारक श्री मोरारी बापू श्रावण के पवित्र महीने में एक असाधारण आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। यह यादगार यात्रा 22 जुलाई 2023 को उत्तराखंड के केदारनाथ की पवित्र भूमि से शुरू होगी, जहां लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर इस भव्य यात्रा की पहली राम कथा होगी। ज्योतिर्लिंग रामकथा ट्रेन यात्रा के रेल चरण का भव्य उद्घाटन 23 जुलाई 2023 को किया जाएगा, जहां से ट्रेनें पवित्र शहर ऋषिकेश के सुरम्य रेलवे स्टेशन से प्रस्थान करेंगी।

60 वर्षों से रामकथा की साधना कर रहे श्री मोरारी बापू 18 दिनों तक लगातार भगवान श्री राम की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करेंगे। यात्रा 08 अगस्त 2023 को गुजरात में बापू के गांव तलगाजर्डा में समाप्त होगी। श्री मोरारी बापू पवित्र 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में राम कथा पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान से भक्तों को मंत्रमुग्ध करेंगे। इस यात्रा के दौरान वह 3 पवित्र स्थानों और तिरूपति बालाजी मंदिर के भी दर्शन करेंगे। 8 राज्यों में लगभग 12,000 किमी की यह गहन यात्रा भगवान राम के नाम की महिमा करते हुए सनातन धर्म के उदात्त सार को सामने लाएगी और अपनी परंपरा को मजबूत करते हुए भारत को एक सूत्र में एकजुट करेगी।

इस असाधारण यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए कैलाश भारत गौरव और चित्रकूट भारत गौरव नामक दो विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की गई है। विशेष रूप से डिजाइन की गई इन ट्रेनों में कुल 1008 श्रद्धालु यात्रा करेंगे। ट्रेन के डिब्बों के बाहरी हिस्से को जीवंत विनाइल रैप्स से सजाया गया है, जिसमें 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों, सनातन धर्म के मुख्य गर्भगृह, तिरूपति बालाजी मंदिर और बापू के गांव के दृश्य दर्शाए गए हैं।

राम कथा पूरी यात्रा के दौरान सभी व्यक्तियों के लिए खुली रहेगी, ताकि वे मार्ग में किसी भी स्थान पर सीधे शामिल हो सकें। यह समावेशी दृष्टिकोण एकता की भावना को बढ़ावा देता है और विविध पृष्ठभूमि के लोगों को इस आध्यात्मिक रूप से परिवर्तनकारी अनुभव में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है। आयोजक सभी भक्तों को प्रसाद के रूप में तीन समय का भोजन भी उपलब्ध कराएगा। श्रावण माह में सभी ज्योतिर्लिंगों की तीर्थयात्रा उपस्थित भक्तों के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि होगी, जिससे तीर्थयात्रा का आध्यात्मिक महत्व भी बढ़ जाएगा।

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