नकली ब्रांड :-“जालसाजी में फंँसे हुए ग्राहक”

पूजा गुप्ता मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली उपयोगी सामानों की संख्या की कमी नहीं है, हर सामान की आवश्यकता समय-समय पर होती है और डिब्बे पर लगे हुए सुंदर-सुंदर ब्रांड देखकर लोगों के मन में उसे लेने की इच्छा होती है, भले ही वह सामान कैसा हो इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं होती है। चाय पत्ती, नहाने का साबुन, खाने का तेल, सौंदर्य प्रसाधन, शैंपू पाउच या बोतल डिटर्जेंट पाउडर के पाउच अथवा पैकेट या टिकिया, मिर्च मसाले नमकीन ना जाने कितने प्रकार के समान मशहूर ब्रांड का नाम देख कर लाए हो, पर वास्तव में वह मूल कंपनी के ना होकर किसी जालसाज कंपनी के भी हो सकते हैं। घरेलू सामानों को तो आम ग्राहक इतना महत्व नहीं देता है पर बिजली के कई सामान ऐसे होते हैं जिस पर आईएसआई की मुहर छपी होती है, वह भी नकली हो सकता है। यह जानकर हैरानी होगी आजकल जो लोग अच्छा खा पी रहे हैं उन्हें भी नकली असली की पहचान नहीं होती है और वह गलत सामानों को खरीदने के लिए एक दूसरे को प्रेरित करते रहते हैं खास तौर पर दुकानदार खुद उन सामानों को ग्राहक के सामने पेश कर देता है जिसे देखकर ग्राहक के मन में उसे लेने की चाहत होती है, सीधा-साधा उपभोक्ता इसी में उलझ कर रह जाता है। जिस प्रकार के समान की ग्राहक मांग करता है वह ब्रांड पर वह सामान दूसरे तरह का होता है और उसके अंदर रखा हुआ सामान कितना शुद्ध है, यह दुकानदार ही जानता है क्योंकि उसे सस्ता और महंगा दोनों तरह का माल रखने की आदत होती है और जैसे ग्राहक होते हैं उनकी हैसियत देखकर वैसा ही समान उनके सामने प्रस्तुत करते हैं। गरीब और आम जनता इस जालसाजी के भंवर में फंसती चली जाती है, जो पढ़े-लिखे नहीं होते हैं वो जनता को बेवकूफ बनाने में दुकानदार माहिर होते हैं। मिलती-जुलती कंपनी का माल बेचकर उन मेहनत करने वाले मजदूरों को भी यह पैसा कम देते हैं। मिलते जुलते नाम नकली ब्राण्ड की कंपनियों का समान बहुतायत में मिलता है। देश भर में थोक व खुदरा विक्रेता यहां से खरीदारी करने आते हैं बिजली के कई सामान से लेकर लाइट, झालर सभी प्रकार के बिजली उपकरण ग्राहकों को डुप्लीकेट दिया जा रहा है।
आम जनता बेवकूफ बनने के बाद ब्रांड के नाम पर गलत समान कर ले आती हैं और जब उसे उपयोग करते हैं तो उन्हें पता चलता है कि वह लूट लिए गए हैं। जालसाजी कंपनियां सेल्समैन और सप्लायर के माध्यम से नकली समान गली मोहल्ले में फेरी लगवाकर बिकबाते है, घर-घर जाकर सेल्स गर्ल और महिलायें नकली सामान सस्ते में बेचकर चली जाती हैं। नकली को असली का टेग लगाकर इतनी खूबसूरती से मार्केट में लाया जाता है कि इसका सूक्ष्मता से फर्क करने पर भी समान असली है या नकली यह पता नहीं लग पाता है। कोई फर्क भी उसे समझ सके वह भी उनकी जालसाजी में आ जाते हैं। अधिक मुनाफे की खातिर दुकानदार अपना सामान ग्राहकों को बेच देता है मार्केट में कई प्रकार के ब्यूटी प्रोडक्ट भी आते हैं जब यह सारे सामान ब्यूटी पार्लर जाते हैं और कुछ सामान नकली होने के कारण उसका साइड इफेक्ट औरतों की स्किन पर हो जाता है इस पर किसे दोष दिया सकता है!
सस्ते सामान को नकली रैपर में लपेट कर उसकी पैकेजिंग की जाती है और मार्केट में रद्दी माल को ब्रांडेड कंपनियों के नाम से बेचने वाले लोगों का एक गैंग होता है और यही रात के अंधेरे में छुपकर नकली माल तैयार करते हैं और उन्हें ब्रांडेड रैपर मैं डाल कर लोगों को बेवकूफ बनाते हैं और यह ब्रांडेड रेफर इतनी सुरक्षात्मक तरीके से बनाए जाते हैं लोगों को यह लगे कि यह रेपर असली है। कई बार उपभोक्ता बिजनेस प्लान के उत्पाद को इस्तेमाल करने के बाद उसके रैपर को बिना नष्ट किए फेंक देते हैं और तेल के डिब्बे शीशियों को पैकेजिंग के लिए भेज देते हैं फलस्वरुप इनके जरिए नकली सामान बनाने वाले यह सब प्राप्त कर इनमें से अपना सामान भर कर पैक कर देते हैं और बाजार में भेज देते हैं। काफी दुकानदार घी या तेल को खुला बेचते हैं और खाली टीन के डिब्बों में बेच देते हैं इनमें भी समान पैक होकर बाजार आ जाता है। घी तेल के डिब्बे पर व्यापक तो मूल कंपनी का ही होता है लेकिन उत्पाद किसी दूसरी कंपनी का होता है। तेल के टीन के साथ तो और भी सुविधा है कि यह केवल सील वाली जगह से ही खोले जाते हैं लगता है वहीं से तेल भरकर सील लगा देते हैं।
आजकल ऑनलाइन जो भी सामान बेचे जाते हैं फेसबुक इत्यादि पर वो सभी अधिकतम नकली होते हैं। किसी ब्रांडेड कंपनी का नाम रखकर लोगों में भ्रामकता फैलाई जाती है मशहूर और बड़ी कंपनियों के अपने खर्चे बहुत होते हैं। कंपनियां अपने अधिकारियों को बड़ी रकम देते हैं विज्ञापनों और अन्य साधनों पर भी खुलकर यह कंपनियां खर्च करती है इनकी अपनी तकनीक अच्छी और महंगी होती है इसलिए उनका सामान महंगा पड़ता है। कुछ अपने नाम प्रचार के बलबूते पर अपना उत्पाद भेजते हैं और बिकता भी है जैसे उदाहरण के लिए यदि कोई चिप्स का पैकेट खरीदते हैं उस चिप्स की कीमत ₹2 के लगभग होती है लेकिन बाजार में आते आते वह ₹10 में बिकता है और इसके विपरीत जो छोटी कंपनियां है उनके फालतू खर्चे कम होते हैं और इनका विज्ञापनों पर भी कोई खर्च नहीं होता है, इसलिए इनके समान सस्ते पड़ते हैं परिणाम स्वरूप थोक और खुदरा विक्रेता यह सभी कमीशन पाते हैं। दुकानदारों को जालसाज कंपनियों का सामान बेचने पर यानी ब्रांडेड नाम से नकली सामान बेचने पर अच्छी बचत होती है इसलिए दुकानदार जानबूझकर नकली ब्रांड का सामान रखते हैं। कुछ थोक विक्रेताओं के पास अनजाने में सेल्समैन के द्वारा नकली ब्रांड आ जाते हैं सभी समान अपने मूल रुपए से डबल दामों में बेच दिया जाता है जिसका कमीशन कंपनी से लेकर दुकानदार पूर्णतः खाता है। घरेलू उद्योगों के सामान गुणवत्ता के हिसाब से नकली ब्रांडों के थोक मूल्य से भी अलग होते हैं निम्न क्वालिटी का मूल्य कम होता है उससे कुछ अच्छी क्वालिटी का थोक मूल्य कुछ अधिक। लेकिन नकली ब्रांड में सबसे अच्छी व महंगी क्वालिटी फिर भी असली ब्रांड का मुकाबला नहीं कर पाती है क्योंकि उसकी तकनीक बड़ी कंपनी जैसी नहीं होती वैसे भी सभी बड़ी कंपनियों में अपने उत्पाद प्रक्रिया व फार्मूले के रहस्य होते हैं जिन्हें कंपनियां छिपाए रखती है।
जालसाजी के भंवर से उपभोक्ताओं को सचेत होने की आवश्यकता है जो बड़ी कंपनियों के ब्रांड का नाम लगाकर समान बेचते हैं उन पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए यह देश की अर्थव्यवस्था को भी क्षति पहुंचाते हैं। उपभोक्ता हो या सरकार सबको सावधानी बरतने की सख्त जरूरत है। उपभोक्ता को भी चाहिए कि जानबूझकर नकली ब्रांड बेचने वाले दुकानदारों का बहिष्कार करें और ब्रांड की मूल कंपनी को इसकी जानकारी अवश्य भेजें ताकि वह कार्यवाही कर सके तथा इस्तेमाल किए गए ब्रांड का पैकिंग सामान नष्ट करके फेंक दे ताकि दूसरा कोई उसे इस्तेमाल नहीं कर पाए। नकली सामान की खरीदारी से ग्राहक बचने का प्रयास करें किसी के बहकावे में ना आए अपने अनुभव से सही सामान लेने का प्रयास करें। यदि कोई नकली ब्रांड का समान बेच रहा है तो उसकी शिकायत जरूर करें ।नकली सामानों का बहिष्कार करें लोग जागरूक बने, तभी देश का विकास हो सकता है।

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