सूरत।  देश भरसे आए सिल्क बुनकरों ने अपनी बुनाई कला को प्रदर्षित करने के लिए सिल्क इंडिया प्रदर्शनी का आयोजन किया है। इस प्रदर्शनी मे देश के तमाम राज्यों से आए 150 से ज्यादा बुनकर भाग ले रहे है। प्रदर्शनी में आए दक्षिण के कलाकारों ने सिल्क पर अपनी कला का उम्दा प्रदर्षन किया है। पश्चिम बंगालके बुनकरों ने सिल्क साडी पर शिव तांडव दिखाया है तो आंध्र के बुनकरों ने फ्रेब्रिक रंगो से सिल्क साडियों पर पेंटिंग ही तैयार कर दी है।  

          उपरोक्त जानकारी हस्तशिल्पी के प्रबंधक राजेश कुमार ने दी । उन्होने बताया कि प्रदर्शनी का आयोजन सीटी लाईट मे स्थित तेरापंथ भवन मे किया जा रहा है। 7 अगस्त तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में कर्नाटका से आए बुनकर अपने साथ रियल जरीसे बनी प्योर कांजीवरम साडी लाए है। ये साडी अभिनेत्री श्रीदेवी की पसंदीदा साडी थी इसलिए इसे श्रीदेवी साडी भी कहते है। 3 बुनकरों ने 6 माह की मेहनत के बाद इस ट्रेडिशनल साडी को तैयार किया है जिसकी कीमत लगभग 2 लाख अस्सी हजार रुपए है। इसे बनाने के लिए सिल्क के धागें पर सोनेका पानी चढाकर बुनाई की गई है। आंध्रा के बुनकर विजयशील ने मंगलगिरी पर हेंड पेंटिंग कर प्रदर्शित की है। उन्होने साडी पर ध्यान मग्न बुद्धा की आकृति बनाई है । इसी तरह कतान सिल्क पर शिव तांडव का दृष्य रंग बिरंगे धागों से बुनाई कर उकेरा गया है। 

         प्रदर्शनी में मैसूर सिल्क साड़ियाँ, क्रेप और जार्जेट सिल्क साड़ियाँ, शिफोन सिल्क साड़ियाँ, टसर सिल्क साड़ियाँ और सूट, कांचीपुरम सिल्क साड़ियाँ और शादी की साड़ियाँ, डिजाइनर फैन्सी साड़ियाँ, धर्मावरम सिल्क साड़ियाँ, रो सिल्क और टसर, जूट सिल्क साड़ियाँ, ढाका सिल्क साड़ियाँ, हैंडलूम सिल्क कॉटन साड़ियाँ, सिल्क ब्लेंड साड़ियाँ और दुपट्टे, सिल्क शॉल, उप्पडा, गढ़वाल सिल्क साड़ियाँ, हैंड ब्लॉक प्रिंट साड़ियाँ, सूट और सिल्क बेड कवर, डिजाइनर वेयर और बार्डर लेजेस, कुर्तियां, हाथ से बुने मटका और असम मूंगा कपड़े, अपूर्व सिल्क साड़ियाँ, बालूचरी साड़ियाँ, कढ़ाईदार डिजाइनर सिल्क साड़ियाँ और ड्रेस मैटेरियल, भागलपुरी सूट, प्रिंटेड सिल्क साड़ियाँ, रेशमी प्लेन और बूटी साड़ियाँ, कर्नाटक सिल्क साड़ियाँ, महेश्वरी, चंदेरी सिल्क साड़ियाँ और सूट और कोटा सिल्क, मलबरी सिल्क टेम्पल बार्डर के साथ, बनारस जामदानी, हाथ से बुनी साड़ियाँ प्रदर्शित की जा रही है।  

         कलाप्रेमी दोपहर 10.30 बजे से रात 8.30 बजे तक देश भर के कोने कोने से आए बुनकरो की बुनाई कला को देखने के लिए आमंत्रित है।

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