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सूरत भूमि, सूरत| 16 डिग्री की कड़कड़ाती ठंड में भी देवांशी की दिक्षा का साक्षी बनने सुबह 4:00 बजे से दीक्षा नगरी में अपना स्थान लेना शुरू कर दिया था। 30 हज़ार से अधिक धार्मिक भक्तों के जयकारे के बीच 9 वर्ष की देवांशी ने सूरीराम गुण कृपा प्राप्त प्रवचन प्रभावक जैनाचार्य पूज्य श्री कीर्तियशसुरीश्वर जी महाराज के हाथों रजो हरण स्वीकार कर तपस्या के जीवन की शुरुआत की। इसके बाद दीक्षा मंडप देवांशी की जय जय कार से गूंज उठा।
भेरूतारक तीर्थ स्थापक संघवी सुंदरबेन भेरूमल जी परिवार की पुत्री देवांशी के दीक्षा दान महा महोत्सव के अंतिम दीक्षा दिन बुधवार को सुबह से ही वेसू बलर फार्म में बनी दीक्षा नगरी में लोगों का आगमन शुरू हो गया था। प्रवचन प्रभावक प. पू.आ.भ. श्रीमद् विजय कीर्तिसुरीश्वर जी महाराज, प. पू.आ.भ. श्रीमद् विजय हितप्रज्ञसुरीश्वर जी महाराज, प. पू.आ.भ. श्रीमद् विजयहर्षवर्धनसुरीश्वर जी महाराज, प. पू.आ.भ. श्रीमद् विजय निर्मलदर्शनसुरीश्वर जी महाराज, श्रीमद् विजय हिंकारप्रभसुरीश्वर जी महाराज और विशाल श्रमण श्रमणी भगवंतो का 6:42 पर भव्य प्रवेश हुआ था।
बाद में तुरंत दीक्षार्थी देवांशी का भी अति भव्य प्रवेश हुआ। दीक्षा विधि में गुरुदेव की मांगलिक के बाद बाल वीरांगना देवांशी को विजय तिलक किया गया। उसके बाद गुरु पूजन, प्रभुपूजन, माता-पिता का प्रणाम, गुरु प्रवचन और ऐसे ही उत्सव के क्षण में ठीक 10:12 पर गुरुदेव ने देवांशी के हाथ में ओघा रखा और मानो समग्र सृष्टि का सुख उसके हाथ में आ गया हो इस भाव के साथ देवांशी नाचने लगी और मंडप में दीक्षार्थी का जयघोष होने लगा। इसके बाद दीक्षार्थी देवांशी जब मुंडन कराकर और कपड़े बदलकर दीक्षा मंडप में प्रवेश किया तो बलर फॉर्म सहित वेसू का वातावरण नव दीक्षार्थी के जयकारों से गूंज मान हो गया। देवांशी को संयम जीवन की पूज्य साध्वी जी श्री दिगंतप्रज्ञाश्रीजी म.सा. नाम दिया गया।