अब राज्यों के चुनाव में भीड़ की भरमार पैमाना नहीं बल्कि मुद्दों का वज़न बनाने में पार्टियों में होड़ मचना तय: एडवोकेट किशन भावनानी

भारत में बढ़ती हुए कोरोना महामारी और नए वेरिएंट ओमिक्रान के बढ़ते ग्राफ के टेंशन के बीच दिनांक 8 ज़नवरी 2022 को चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों के चुनाव को सात चरणों में कराने की घोषणा की। जो 10 फ़रवरी से शुरू होकर 10 मार्च 2022 को उनके परिणामों की घोषणा होगी तथा विशेष रूप से 15 जनवरी तक किसी भी प्रकार की रैली, जनसभा, रोड शो, रथ यात्रा, साइकिल रैली, स्कूटर रैली अब नहीं कर सकेंगे अब वह केवल वर्चुअल रैली होगी तथा डोर टू डोर प्रचार में भी केवल 5 लोग ही जा सकेंगे।
साथियों बात अगर हम नए नियमों की करें तो पूर्ण नियमों का हर पार्टी तथा कार्यकर्ताओं द्वारा पालन करना होगा। नहीं करने पर एनडीएमए और आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई होगी।
साथियों बात अगर हम चुनाव आयोग द्वारा 15 जनवरी तक सभी प्रकार की रैलियों, रोड शो पर पाबंदी और वर्चुअल रैली की इजाज़त की करे तो संभव है आगे भी चुनावी तारीख तक भी यह पाबंदी बढ़ने की संभावना है। क्योंकि महामारी के बढ़ते ग्राफ के चलते ऐसा करना ही ज़रूरी होगा जिससे डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म की बल्ले-बल्ले होगी!!! क्योंकि पार्टियां और उम्मीदवार अब डिजिटल प्लेटफॉर्म का ही उपयोग करेंगे और वोटरों को लुभाने इन मीडिया प्लेटफॉर्म का ही सहारा लेना पड़ेगा।

साथियों बात अगर हम राजनीतिक पार्टियों के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के नेटवर्क की करें तो करीब-करीब हर राजनीतिक पार्टियों व उनके कार्यकर्ताओं पार्षदों,विधायकों सांसदों के अपने अपने स्तर पर डिजिटल प्लेटफॉर्म पहले से ही है जिनमें टि्वटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप, पोर्टेबल इत्यादि इत्यादि तथा इनके फॉलोवर्स भी आज लाखों में है जिनका लाभ उन्हें मिल सकता है।

साथियों बात अगर हम सभी राजनेताओं की करें तो करीब-करीब हर पार्टी के पास अपना आईटी सेल स्थापित है और सभी राजनीतिक दलों को पहले से ही अंदाज होगा कि इसबार चुनावों में डिजिटल ही सब कुछ होगा,स्वभाविक है इनकी तैयारियां पहले से ही अपने चरम सीमा पर होगी पर सबसे बड़ी बात वोटरों के लिए यह माहौल शायद पहली बार ही होगा कि वह इन स्थितियों में अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे।
साथियों बात अगर हम 15 जनवरी के बाद के हालातों की करें तो सभी पार्टियों कार्यकर्ताओं को कोविड प्रोटोकॉल का सख़्ती से पालन कराया जाएगा तथा हर रैली से पहले चुनावी उम्मीदवार से कोरोना प्रोटोकोल सुनिश्चित करने का शपथपत्र लिया जाएगा तथा राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवारों और प्रत्याशियों को ख़ुद भी अपना आपराधिक रिकॉर्ड बताना होगा। सभी राजनीतिक पार्टियों को और प्रत्याशियों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर बेहतर सतर्क रहना होगा और हेट स्पीच, फेक न्यूज़ पर विशेष ध्यान देना होगा।
साथियों बात अगर हमप्रत्याशियों के नॉमिनेशन फॉर्म भरने की करें तो कोविड कॉल में इनकी सुविधा के लिए ऐप के जरिए ही अपना नॉमिनेशन ऑनलाइन भर सकेंगे सभी दलों और प्रत्याशियों को चुनावी अपराध के संबंध में एडवाइजरी जारी की जाएगी और कोड आफ कंडक्ट का सख़्ती से पालन करना होगा।
साथियों बात अगर हम कुछ हटके सुविधाएं और नियमों की करें तो वोटिंग में कुछ बातें हटकर हो रही है जो मुख्य हैं (1)वोटर्स अगर चुनाव में धांधली देखें तो सी-विजिल ऐप पर शिकायत कर सकते हैं और आयोग 5 मिनट में एक्शन लेकर 100 मिनट में वह शिकायत दूर करेगा (2) 80 प्लस सीनियर सिटीजन और दिव्यांगजन के लिए डोर स्टेप वोटिंग की सुविधा होगी।(3)एक वोटिंग स्टेशन पर अधिकतम वोटर्स की सुविधा 1500 से घटाकर 1250 की गई है (4) महिला वोटर को बढ़ावा देने के लिए हर विधानसभा में कम से कम एक पोलिंग बूथ को महिलाएं ही मैनेज करेगी। (5) 16 प्रतिशत पोलिंग बूथ बढ़ाए जा रहे हैं अर्थात 2.15 लाख से अधिक पोलिंग स्टेशन बनेंगे(6) अब कोरोना संक्रमित वोटर भी वोट डाल सकेंगे उनके लिए पोस्ट बैलेट की सुविधा का इंतजाम किया गया है।
साथियों बात अगर हम राजनीतिक पार्टियों के पहले से बनी आईटी सेल और कई मीडिया ग्रुपों की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार अनेक विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए लोगों को आमंत्रित करने वाला लिंक ट्वीट किया है. यह संभवत: ऐसा पहला कदम है। रिपोर्टिंग में इसी तरह के एक व्हाट्सएप ग्रुप की समीक्षा की, जिसमें पार्टी के अभियान से जुड़े कई चित्र और वीडियो थे।
साथियों बात अगर हम यूपी में डिजिटल प्रचार की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार एक पार्टी, जो चुनाव अभियानों में सोशल मीडिया गेम का नेतृत्व करती रही है, पिछले एक महीने से कई अखबारों में फुल पेज या पाफ पेज विज्ञापनों की बौछार कर रही है। इनमें से अधिकांश तस्वीरों के साथ तीन मुख्य नारे प्रकाशित किए जा रहे हैं।

साथियों बात अगर हम व्हाट्सएप, टि्वटर हैंडल, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर प्रचार की करें तो पिछले कुछ समय से पार्टी समर्थकों के व्हाट्सएप ग्रुप और ट्विटर हैंडल पर भी इसी तरह के मैसेज हो रहे हैं। हाल-हाल तक पार्टियों भी मजबूत जमीनी जनसंपर्क अभियान चला रही थी, लेकिन पार्टी के शीर्ष आईटी विंग के एक अधिकारी ने स्थानीय अखबारों के हवाले से कहा है कि आने वाले दिनों में हमारा फोकस 3 डी तकनीक का इस्तेमाल कर सोशल मीडिया पर वर्चुअल रैलियां करने का है। पार्टीयों के पास पहले से ही हरेक राज्य में अनेक बूथ स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप हैं।
साथियों बात अगर हम फेसबुक, पोर्टेबल और अन्य डिजिटल माध्यम से पहले से ही अपने मुद्दों, विकास और सवालों की गाथा और प्रचार की करे तो, फेसबुक लाइव से लेकर 3 डी रैली तक, यूपी के डिजिटल चुनाव प्रचार में राजनीतिक दल क्या बना रहे प्लान? इसका खुलासा आगे होगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म की बल्ले-बल्ले है!!! पांच राज्यों में चुनाव तारीख हैं जो घोषणा हुई है वह 7 चरणों में चुनाव होंगे तथा कोरोना ने लोकतंत्र का उत्सव फीका किया है जिसके कारण पांच राज्यों के चुनाव में भीड़ की भरमार पैमाना नहीं बल्कि मुद्दों पर वज़न बनाने में पार्टियों में होड़ मचना तय हैं।

संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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