नीट यूजी और पीजी में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठे

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी काउंसलिंग 2021 को हरी झंडी दे दी है। ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण को भी सुप्रीम कोर्ट की ओर से मंजूरी मिल गई है। वहीं, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्लूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण इस वर्ष प्रभावी रहेगा। इस फैसले के बाद आरक्षण सीमा लगभग 65% हो जाएगी जिसका विरोध किया जा रहा है।
इस फैसले से सभी मेधावी छात्रों को सरकार द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों में अध्ययन करने का अवसर नहीं मिलेगा। उच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को निजी/कॉर्पोरेट अस्पतालों को स्वीकार करना होगा, वे अधिक खर्च करेंगे और कम अनुभव प्राप्त करेंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार स्नातक स्तर तक आरक्षण का समर्थन कर रही है जो स्वीकार्य हो सकता है। ऐसे में एमबीबीएस पास करने वाला व्यक्ति कम से कम 65000-70000 रुपये प्रति माह प्राप्त करने के लिए पात्र होगा। क्या मेधावी छात्रों की कीमत पर स्नातकोत्तर स्तर पर ऊपर जाने के लिए समान अधिकार देना उचित है? उनका कहना है कि एमबीबीएस सभी एक ही कैटेगरी में होने चाहिए। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि यही उचित समय है कि मेधावी छात्रों को सुपरन्यूमरी बढ़ा कर न्यायोचित ठहराया जाए ताकि अधिक पीजी सीटें मिल सकें। इसलिए अतिरिक्त संख्या बढ़ानी होगी। उनका कहना कहना है कि भारत की आरक्षण नीति सभी भारतीयों के बीच भारी भेदभाव पैदा कर रही है। आरक्षण नीति भारतीय मस्तिष्क को निष्पक्ष अवसर प्राप्त करने के लिए विदेश जाने को विवश करती है।
ज्ञात रहे कि कोर्ट ने इस वर्ष (2021-22) के लिए ईडब्लूएस के लिए आय मानदंड को जारी रखने के लिए अजय भूषण पांडे समिति की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट के मुताबिक, इस साल पुराने नियमों के आधार पर ही एडमिशन दिए जाएंगे। हालांकि, भविष्य में इस कोटे को जारी रखा जाएगा या नहीं, इसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट करेगा। मामले में अगली सुनवाई मार्च के दूसरे हफ्ते में की जाएगी।
नीट यूजी और पीजी में आरक्षण का मुद्दा काफी लंबे वक्त से लंबित था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जुलाई को संबंधित केंद्रीय मंत्रियों को इस समस्या का समाधान निकालने का निर्देश दिया था। इसके बाद नीट यूजी और पीजी दाखिले में आरक्षण लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
इस फैसले से हर साल एमबीबीएस में लगभग 1500 ओबीसी छात्रों और स्नातकोत्तर में 2500 ओबीसी छात्रों व एमबीबीएस में लगभग 550 ईडब्ल्यूएस छात्रों एवं स्नातकोत्तर में लगभग 1000 ईडब्ल्यूएस छात्रों को फायदा होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का कहना है कि इस फैसले से करीब 5,550 विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।

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