मुख्यमंत्री ने पावागढ के निकट जेपुरा में नवनिर्मित ‘वन कवच’ का लोकार्पण किया

पंचमहल | मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रकृति संरक्षण-संवर्धन एवं विकास के हरियाले मार्ग पर आगे बढ़ने के संकल्प के साथ गुरुवार को पवित्र यात्राधाम जेपुरा-पावागढ में नवनिर्मित ‘वन कवच’ का लोकार्पण कर राज्य को एक और पर्यावरणोन्मुखी भेंट दी है। लोकार्पण के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल तथा वन एवं पर्यावरण मंत्री मुळुभाई बेरा, शिक्षा मंत्री डॉ. कुबेरभाई डिंडोर, वन राज्य मंत्री मुकेशभाई पटेल और अन्य महानुभावों ने वृक्षारोपण किया और फिर ‘वन कवच’ परिसर का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने यहाँ ‘वन कवच’ निर्माण में अपनाई गई मिट्टी कार्यपद्धति का डेमॉन्स्ट्रेशन रुचिपूर्वक देखा तथा ‘वन कवच’ की रूपरेखा के बारे में जानकारी प्राप्त की। गोधरा की उप वन संरक्षक सुश्री मिनल जाली ने मुख्यमंत्री को यहाँ उपलब्ध वनस्पतियों के प्रकारों, विभिन्न प्रजातियों तथा ‘वन कवच’ के अन्य विशेषताओं व आकर्षणों के बारे में अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने स्वयं-सहायता समूह द्वारा निर्मित कोकोपीट तथा महुआ तेल की प्रदर्शनी देखी और उसके उत्पादन के बारे में पूछताछ भी की। पावागढ से केवल 6 किलोमीटर की दूरी पर जेपुरा में गोधरा सामाजिक वनीकरण विभाग द्वारा 1.1 हेक्टेयर क्षेत्र में मियावाकी पद्धति से तैयार किए गए इस ‘वन कवच’ में 100 से अधिक प्रकार के 11 हज़ार से अधिक पौधों की बुवाई की गई है। इस ‘वन कवच’ में पौधों की 200 से अधिक प्रजातियाँ हैं, जो जैविक विविधता का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। जेपुरा ‘वन कवच’ की विशेषताओं पर नज़र डालें, तो पावागढ में स्थित सात कमान जैसा ही पत्थर से बना प्रवेश द्वार इस ‘वन कवच’ में भी बनाया गया है तथा यहाँ के गैज़ेबो भी उत्तम शिल्पकारी का उदाहरण हैं। विशिष्ट सेंडस्टोन प्रकार के पत्थरों पर नक्काशी कार्य कर 8 पिलरों की सहायता से ये गैज़ेबो बनाए गए हैं, जो पावागढ को प्राप्त ‘वर्ल्ड हेरिटेज साइट’ कीशोभा में अभिवृद्धि करते हैं। गैज़ेबो पर 4 विशिष्ट वनस्पतियों; बरगद, आम, काँचनार तथा केसूडा (पलाश) की डालियों और पत्तियों की हू-ब-हू प्रतिकृतियों को लोहे की पट्टियों पर उकेर कर गुंबद बनाए गए हैं। ‘वन कवच’ का इंजीनियरिंग कार्य इतना अद्भुत है कि आश्चर्य के साथ दृष्टि स्थिर हो जाए। राजूला के पत्थरों से बने मार्ग, पत्थरों से बने गैज़ेबो तथा प्राचीन शिल्पकला से बने प्रवेश द्वार को वर्षों तक रखरखाव की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यहाँ वर्ल्ड हेरिटेज साइट के स्मारक देखने के लिए आने वाले पर्यटकों तथा महाकाली धाम पावागढ में माताजी के दर्शन को आने वाले दर्शनार्थियों के लिए एक और दर्शनीय स्थल तैयार किया गया है। ‘वन कवच’ में निर्मित स्काइ वॉक तथा वॉच टावर पर चढ़ कर पर्यटक एवं श्रद्धालू ‘वन कवच’ की सुंदरता को निहार सकेंगे और कैमरा में क़ैद कर सकेंगे। इसके लिए भी व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त, ‘वन कवच’ में मध्य गुजरात के वनों का एक वामन स्वरूप भी तैयार किया गया है, जिसमें 100 से अधिक पेड़, क्षुप (झाड़ी) तथा औषधियों के पौधे बोए गए हैं। औषधियों के रूप में उपयोगी अर्जुन सादडा, मदन फल, समिध, करंज, कुसुम, चारोली, टिमरू, अरड़ूसी, वायवर्ण, पारिजातक, अश्वगंधा आदि तथा अति दुर्लभ पाटला, किलाई, बेलपत्र, कुसुम, भिलावाँ, टेटू, भूत आलन, कुंभी, भृंग, रक्त रोहिड़ा, महोगनी, मटर, बोथी की बुवाई की गई है। ‘वन कवच’ में ‘सिल्वा’ तथा मध्य गुजरात की विभिन्न नर्सरियों में उगाए जाने वाले स्थानीय प्रजाति के पौधों की बुवाई की गई है। जैविक खाद का उपयोग कर की गई बुवाई में वर्षों से सुषुप्त रूट स्टॉक के ज़रिये जंगली कंटोला जैसी अति दुर्लभ प्रकार की वनस्पति भी अब स्वयं ही उगने लगी है। महत्वपूर्ण है कि वर्ष 2022 में स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी, एकतानगर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार ‘वन कवच’ पद्धति से निर्मित वन का उद्घाटन किया था। प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री ने अंबाजी तथा पावागढ में ‘वन कवच’ बनाने का आह्वान किया था। इसी क्रम में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुरुवार को 74वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव के अवसर पर जेपुरा ‘वन कवच’ का लोकार्पण कर राज्य के नागरिकों को एक और पर्यावरणोन्मुखी भेंट दी है।

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