सात दिवसीय कथा का समापन आज, शनिवार को कथा सुबह 9.30 बजे से 12.30 बजे तक होगी

शहर के वेसू स्थित रामलीला मैदान में एकल श्रीहरि वनवासी विकास ट्रस्ट द्वारा मल मास के उपलक्ष्य में श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन 8 से 14 जनवरी तक किया गया है। कथा के षष्टम दिवस एकल श्रीहरि के संरक्षक संजय सरवगी (लक्ष्मीपति ग्रुप), मुख्य यजमान सीए महेश मित्तल एवं श्रीमती मंजू मित्तल, रमेश अग्रवाल, पुरुषोत्तम हिम्मतसिंगका, मनीष अग्रवालआदि ने व्यास पूजन कर आरती की एवं महाराजी से आशीर्वाद लिया।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी जी महाराज ने कहा कि शरणागत की रक्षा करना ही भगवान का व्रत है। महाराजजी ने गिरिराज (गोवर्धन) पूजा का प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने 7 वर्ष के आयु में ही गिरिराज की पूजा शुरू कराकर सामाजिक समरसता शुरू किया। गिरिराज पूजा शुरू कर भगवान ने समाज को संपूर्ण विचार दिया है। गौ माता, ब्राह्मणों एवं प्रकृति की रक्षा माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने गिरिराज पूजा की शुरुआत की। गिरिराज पूजा से देवराज इंद्र कुपित हो गए और हाथी की सूढ़ की तरह धार से बारसात करने लगे। जिससे सभी गोकुलवासी परेसान होने लगे। वर्षा सभी जगह जलमग्न हो गया, चट्टाने जगह-जगह गिरने लगे। लेकिन सभी गोकुलवासियों का अपने नंदलाल पर पूरा भरोसा था।

श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए इंद्रदेव से कहा तुम गोकुल का नाश करना चाहते हो, जिसको मैं अपनाता हूं उसका नाश कोई नहीं कर सकता। महाराज जी ने शरणागत की रक्षा करना ही भगवान का व्रत है। व्रत उसे कहते हैं जिसे कभी कोई तोड़ता नहीं। इसलिए सभी मानव को भगवान के शरण में रहना चाहिए, भगवान का स्मरण करते रहना चाहिए। श्री कृष्ण ही गिरिराज है और गिरिराज ही कृष्ण। भगवान श्री कृष्ण ने गिरिराज पर्वत को कनिष्ठा अंगुली पर उठा कर उचके नीचे सभी को उसी के अंदर रखकर इन्द्र के प्रकोप से बचाया। महाराजजी ने कहा कि देवताओं के राजा इंद्र पूरी शक्ति का प्रयोग किया, लेकिन कुछ नहीं बिगाड़ पाए। इंद्र ने बहुत गाली दिया, अपशब्द कहे, लेकिन भगवान ने एक शब्द कुछ नहीं कहा, भगवान श्रीकृष्ण की भाषा उदार है। मनुष्य के सभ्यता की पहचान उसकी भाषा से होती है। जीवन में अपनी बाणी को गिरने मत देना। कोई मित्र और शत्रु वाणी से होता है।

सात दिवसीय कथा का समापन आज

एकल श्रीहरि के मीडिया प्रभारी कपीश खाटूवालाने बताया कि रविवार को शुरू हुई सात दिवसीय श्री मद्भागवत कथा का समापन आज (शनिवार) होगा। समापन के मौके पर सुबह सात बजे से हवन का आयोजन होगा। कथा सुबह साढ़े नौ बजे से साढ़े बारह बजे तक होगी। कथा के समापन के पश्चात् एकल श्रीहरि द्वारा सभी के लिए महाप्रसाह की व्यवस्था दोपहर साढ़े बारह बजे की गयी है।

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