सूरत में 15 दिन में खोई 10 मरीजों ने आंखें

सूरत । आप कोरोना से रिकवर हो गए हैं, तब भी विशेष सावधानी बरतने की जरुरत है। क्योंकि पोस्ट-कोरोना कॉप्लिकेशन्स और दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण मरीजों को निगेटिव होने के बाद भी काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर मरीज को आंख गंवानी पड़ सकती है और जान भी जा सकती है। कोरोना पॉजिटव और निगेटिव मरीजों में ऐसी ही एक बीमारी मिकोर माइकोसिस के केस बढ़ रहे हैं। सूरत में 15 दिन के भीतर ऐसे 60 से अधिक केस सामने आए हैं, जिनमें 10 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी हैं। मिकोर माइकोसिस एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है, जो नाक और आंख से होता हुआ ब्रेन तक पहुंच जाता है और मरीज की मौत हो जाती है। वैसे तो इस बीमारी के केस बहुत कम होते हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में इसके केस अधिक सामने आ रहे हैं। कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीज आंख दर्द, सिर दर्द आदि को इग्नोर करता है। यह लापरवाही मरीज को भारी पड़ती है। ईएनटी रोग विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना उपचार के दौरान मरीजों को दवाएं-स्टेरॉयड दिए जाते हैं। इनके साइड इफेक्ट और कोरोना संक्रमण के कारण मिकोर माइकोसिस के केस बढ़ रहे हैं।
24 घंटे के भीतर आंख से ब्रेन में पहुंच जाता है इंफेक्शन
ईएनटी ईएनटी सर्जन डॉ. संदीप पटेल ने बताया कि कोरोना ठीक होने के बाद यह फंगल इंफेक्शन पहले साइनस में होता है और 2 से 4 दिन में आंख तक पहुंच जाता है। इसके 24 घंटे के भीतर यह ब्रेन तक पहुंच जाता है। इसलिए हमें आंख निकलनी पड़ती है। साइनस और आंख के बीच हड्डी होती है, इसलिए आंख तक पहुंचने में दो से ज्यादा दिन लगते हैं। आंख से ब्रेन के बीच कोई हड्डी नहीं होने से यह सीधा ब्रेन में पहुंच जाता है और आंख निकालने में देरी होने पर मरीज की मौत हो जाती है।

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