15 दिन पहले हुई मौत, अस्पताल वाले बेटी को दे रहे पिता की रोज अपडेट

मेरठ । पश्चिमी यूपी के बड़े मेडिकल कॉलेजों में शुमार लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। जहां गाजियाबाद निवासी एक वृद्ध की मौत के बाद हॉस्पिटल के डॉक्टर मृतक की बेटी को फोन पर लगातार उसके बाप के हाल-चाल का अपडेट दे रहे थे। जबकि वृद्ध की मौत के बाद पुलिस शव को लावारिस मानक अंतिम संस्कार भी कर चुकी थी। जानकारी के मुताबिक मूल रूप से बरेली निवासी संतोष कुमार गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में अपनी बेटी शिखा शिवांगी और दामाद अंकित के साथ रहते थे। शिखा के मुताबिक 21 अप्रैल को उनके पिता संतोष को घर में बाथरूम में गिरने के कारण चोट लग गई थी।इसके बाद गाजियाबाद के हॉस्पिटल में उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जिसके बाद संतोष को मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज की आईसीयू टू में भर्ती कराया गया था।
शिखा के मुताबिक उनकी खुद की तबीयत ठीक नहीं थी। इसकारण लगातार मेरठ मेडिकल के डॉक्टरों को फोन करके अपने पिता का हाल-चाल लेती रहीं। डॉक्टर उन्हें रोज उनके पिता के ऑक्सीजन लेबल और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते रहे। मगर 3 मई को अचानक मेडिकल के डॉक्टरों ने उन्हें फोन पर बताया कि उनके पिता अपने बेड पर नहीं हैं। शिखा के मुताबिक पिता के लापता होने की जानकारी मिलते ही वह अपने पति के साथ मेरठ मेडिकल कॉलेज पहुंची। जहां मेडिकल कॉलेज के स्टाफ ने उनके पति अंकित को कोविड वार्ड से लेकर मेडिकल के तमाम विभागों में घुमाया। मगर उनके पिता का कोई सुराग नहीं मिला। दो दिन अपने पिता की तलाश में इधर-उधर भटकने के बाद शिखा ने सोशल मीडिया पर सीएम योगी के नाम वीडियो जारी कर अपने पिता का पता लगाने की गुहार लगाई।
मामला सीएम के दरबार तक पहुंचते ही मामले में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ने एक कमेटी का गठन कर दिया।इसके बाद पूरे प्रकरण में ऐसा सनसनीखेज खुलासा हुआ जिसने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की पोल खोल दी। दरअसल शिखा के पिता संतोष कुमार की 23 अप्रैल को ही मौत हो गई थी। जिसके बाद उनका शव 3 दिन तक मेडिकल की मोर्चरी में रखा रहा। इसके बाद मेडिकल पुलिस ने शव को लावारिस मानकर संतोष का अंतिम संस्कार भी कर दिया। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि मरीज के परिजनों ने एंट्री के समय अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर में दर्ज नहीं किया था।इसकारण संतोष के परिजनों को उनकी मौत की जानकारी नहीं दी जा सकी। वहीं मेडिकल के कोविड वार्ड में संतोष नाम की एक अन्य महिला भी भर्ती थी। इसलिए जब भी कभी संतोष कुमार की बेटी शिखा मेडिकल के डॉक्टरों को अपने पिता का हालचाल जाने के लिए कॉल करती थी तब हॉस्पिटल का स्टाफ उस महिला संतोष की बेटी समझ कर उसी के विषय में जानकारी दे देता था। हालांकि प्राचार्य ने इस पूरे प्रकरण में मेडिकल के स्टाफ की लापरवाही की बात स्वीकार की है। प्राचार्य डॉ ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि इस मामले में एक जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है। जिसकी रिपोर्ट मिलते ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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