300 वीं ओली के अराधिका सा. कल्पबोधश्रीजी को ‘तपोरत्न’ की उपाधि प्रदान की


कलामंदिर ज्वैलर्स परिवार द्वारा खुशी से पारणा हुआ

जैन धर्म के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज एक गौरवशाली अवसर,सूरत-वेसु, आगमोधराका धनेरा आराधना भवन के प्रांगण में भव्यता के साथ मनाया गया।
शासनप्रभावक आ. अशोकसागर सूरीश्वरजी की उपस्थिति में सागर समुदाय के कोहिनूर रत्न समा सा. श्री कल्पबोधश्रीजी म.सा. के 300वें आयंबिल की ओली का ऐतिहासिक पारणा हुआ। उत्सव नेतृत्व पू. आ. सागरचंद्र सागरसूरिजी ने तपमहिमा के महत्व और पारण के लाभों के बारे में बताया तो लीलाबेन मोहनलाल साकरिया परिवार के राजूभाई का उत्साह बहुत बढ़ गया। जिन्होंने स्वयं पटेल होने के बावजूद पूरे उत्सव स्थल को उदारतापूर्वक दान करने वाले अतुलभाई गोंदलिया परिवार ने ‘तपोरत्न’ की उपाधि प्रदान करने की पहल की। तप की स्मृति में उस स्थान पर बनने वाली इमारत का नाम ‘कल्प एवेन्यू’ रखा जाएगा, इस घोषणा से सबने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया।
पारणा के अवसर पर आगमोधारक तपोनगरी में अनेक आचार्यों का आगमन हुआ। श्री चंद्रकेवली पूजन एवं प्रवर समिति के वरिष्ठ प्राचार्यों से भी स्वीकृति पत्र प्राप्त हुए। बजाते गाते महामहिम भवन गए और उन पर स्वर्ण कलश द्वारा पारणा करवाया गया।
तपोरत्न साध्वीजी ने सभी 300 ओली व्रतों का चोविहारा (निर्जलीकरण) किया। इस पारणा के अंतिम समय में 3 व्रत निर्जला के किए जाते थे। साध्वीजी भगवंत में पारण के लिए 71 लाख श्लोकों का स्वाध्याय सुनाया गया। साथ ही करीब 25 साध्वियों का भी विभिन्न रीति-रिवाजों से अभिषेक किया गया। दोपहर में 10वीं और 12वीं के मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया।

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