चोट के चलते क्रिकेट की जगह टेबल टेनिस को चुना, अब नेशनल गेम्स में धमाल मचा रहे गुजरात के मानुष शाह

सूरत, 23 सितंबर: गुजरात में जारी 36वें राष्ट्रीय खेलों में मानुष शाह अपने दो और साथियों हरमीत देसाई और मानव ठक्कर के साथ खेल रहे हैं। लेकिन टेबल टेनिस सर्किट पर अगर आप किसी से भी पूछें तो वे कहेंगे करेंगे कि वह किसी भी सर्किट पर एक कुशल टेबल टेनिस खिलाड़ी है और उसके स्ट्रोक खेलने में विविधता है।
शाह ने गुरुवार को तीनों व्यक्तिगत स्पर्धाओं के सेमीफाइनल में पहुंचकर इसे साबित भी कर दिया है और अब उनके चार पदक पक्के हो गए हैं। मिश्रित युगल और पुरुष युगल में पदक पक्का करने के बाद हमने मानुष के साथ के साथ बातचीत की।
सवाल: अपने घर में राष्ट्रीय खेलों में खेलने पर आप कैसा अनुभव महसूस कर रहे हैं?
जवाब: यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि मैं गुजरात द्वारा आयोजित राष्ट्रीय खेलों में भाग ले रहा हूं। मैंने एक स्पर्धा में एक स्वर्ण पदक जीता, जिसमें मैंने भाग लिया उन चार इवेंट्स में से पहला है। मैं यहां एकल, युगल और मिश्रित युगल में भी भाग ले रहा हूं।शुरुआत में, यह मेरे लिए थोड़ा व्यस्त था क्योंकि मेरे पास बैक-टू-बैक मैच थे लेकिन मैंने अब परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठा लिया है। मैं दो युगल स्पर्धाओं के सेमीफाइनल में पहुंच गया हूं और दोनों में स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद करता हूं। मैं उस भारतीय टीम का भी हिस्सा हूं जो विश्व टीम चैंपियनशिप के लिए अगले हफ्ते चीन जा रही है।
सवाल: टेबल टेनिस के अब तक के अपने सफर के बारे में कुछ बताएं। आपने इस खेल काे कैसे खेलना शुरू किया और यहां तक कैसे पहुंचे?
जवाब: जब मैं दूसरी कक्षा में था, मैं लोहे की छड़ पर गिर गया था और मेरी एक किडनी खराब हो गई। मुझे पहले क्रिकेट खेलना पसंद था। लेकिन चोट के बाद, डॉक्टरों ने मुझे क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, एथलेटिक्स जैसे कोई बाहरी खेल नहीं खेलने की सलाह दी। हम ठीक होने के बाद एक पारिवारिक यात्रा पर गए और वहां मैंने और मेरे पिता ने मस्ती के लिए टेबल टेनिस खेलना शुरू कर दिया। वहां मेरे पिता ने मुझसे कहा कि अगर मुझे दिलचस्पी है तो मैं टेबल टेनिस खेलना शुरू कर सकता हूं। बड़ौदा लौटने के बाद, मैंने एक अकादमी में दाखिला लिया और 8 महीने बाद मैंने अपने पहले जिला स्तरीय टूर्नामेंट में भाग लिया।
सवाल: आपके माता-पिता आपसे और आपके खेल से क्या उम्मीद रखते हैं?
जवाब: हर माता-पिता अपने बच्चे के लिए अच्छा चाहते हैं और चाहते हैं कि वे सफल हों। मेरे माता-पिता भी चाहते हैं कि मैं राज्य के साथ-साथ देश के लिए भी मेडल जीतूं।

सवाल: इस यात्रा में सरकार कैसे आपका साथ दे रही है?

जवाब: मेरे करियर की शुरुआत से, सरकार बहुत सहायक रही है। मैं राज्य सरकार की शक्तिदूत योजना का हिस्सा हूं जिसके तहत वे खिलाड़ियों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। साथ ही, केंद्र सरकार ने टॉप्स योजना शुरू की थी जिसके तहत वे वित्तीय, तकनीकी और स्वास्थ्य संबंधी सहायता प्रदान करते हैं।

सवाल: आप विराट कोहली के जबरा फैन हैं, तो क्या आपको कोहली से मिलने का मौका मिला है? और आपका अनुभव कैसा रहा?

जवाब: मुझे विराट कोहली फाउंडेशन का समर्थन प्राप्त है। सौभाग्य से, मुझे उनके साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत करने का मौका मिला। हमारे बीच बहुत उपयोगी बातचीत हुई। एक खिलाड़ी के रूप में हमारे बीच समानताएं मिलती हैं, क्योंकि हम दोनों खेलते समय आक्रामक होते हैं। उन्होंने मुझे बताया कि मैदान पर रहते हुए वह अपनी आक्रामकता से कैसे निपटते हैं जिससे मुझे एक खिलाड़ी के रूप में बहुत मदद मिली।

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