मुंबई – एक्यूट लिवर फेलियर से पीड़ित गुजरात में रहनेवाली १९ वर्षीय लडकी का परेल स्थित ग्लोबल अस्पताल में सफलतापूर्वक इलाज किया गया हैं।
गुजरात के अंकलेश्वर में रहने वाले मरीज कृष्णा भानुशाली को अचानक पीलिया हो गया था और तीन दिन में ही उन्हें नींद आने लगी। समय रहते इलाज नही होता तो मृत्यु का खतरा था।
ग्लोबल अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार हेपेटोलॉजिस्ट और क्लिनिकल लीड लिवर और ट्रांसप्लांट आईसीयू डॉ. उदय सांगलोडकर ने कहॉं की, “मरीज १४ नवंबर को एक आपातकालीन स्थिति में आया था। वह बहुत कम रक्तचाप, बढ़ी हुई हृदय गति और हेमोडायनामिक रूप से अस्थिर स्थिति के साथ कोमा की स्थिति में थी। तीव्र यकृत विफलता (एएलएफ) के कारण, उसका खून पतला था और उसे मुंह और नाक से रक्तस्राव हो रहा था। लिवर की विफलता के कारण मस्तिष्क के अंदर सूजन और ग्रेड IV कोमा के कारण उसका अमोनिया स्तर बहुत अधिक हो गया था। भारत में तीव्र यकृत बिमारी की मात्रा १-२% के आसपास है। यदि समय पर इलाज न किया जाए तो एएलएफ में मृत्यु दर लगभग ५० से ७५ है। आमतौर पर, यह वायरल संक्रमण (एचएवी, एचईवी) अस्वच्छ भोजन और पानी के माध्यम से फैलता है।
मरीज को एएलएफ से साथ भर्ती किया गया था। ऐसी स्थिती में कई बार मरीज को यकृत प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती हैं। यह सोचकर मरीज का यकृत प्रत्यारोपण करने की सलाह दी। मरीज के बहन के आगे आकर यकृत दान करने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन हमने धीमी किडनी डायलिसिस (सीआरआरटी) में उसकी सहायता की, जिससे मस्तिष्क के अंदर की सूजन को कम करने के लिए अमोनिया को हटाने में मदद मिली। निरंतर रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (सीआरआरटी) और प्लाज्मा एक्सचेंज (पीई) जैसी उन्नत चिकित्सा तकनीकों का उपयोग करके उसका सफलतापूर्वक इलाज किया गया। इस कारण मरीज को यकृत प्रत्यारोपण की जरूरत नही पडी।
डॉ. सांगलोडकर ने आगे कहॉं की, प्लाज्मा एक्सचेंज (एक प्रकार का एक्स्ट्राकोर्पोरियल डायलिसिस) किया जाता है, जिसमें मरीज के विषाक्त पदार्थों और हानिकारक अपशिष्ट वाले रक्त को ताजा प्लाज्मा से बदल दिया जाता है ताकि लिवर को सहारा दिया जा सके और जमावट और हेमोडायनामिक मापदंडों को सही किया जा सके। एक सप्ताह के उपचार के बाद, उसे वेंटीलेटर से हटा दिया गया। मरीज की सेहत में सुधार देखकर उसे ३-४ दिनों में डिस्चार्ज किया गया।”
लीवर प्रत्यारोपण कराने की सभी तैयारियां कर दी गई थीं क्योंकि ऐसा न करने से मृत्यू का खतरा था। जबकि तीव्र यकृत मरीजों को अक्सर तत्काल यकृत प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। लेकिन अत्याधुनिक सीआरआरटी और प्लाज्मा एक्सचेंज जैसी प्रक्रिया के कारण प्रत्यारोपण की जरूरत नही पडी।
मरीज कृष्णा भानुशाली ने उसके जीवन की रक्षा करने और प्रत्यारोपण को रोकने के लिए ग्लोबल हॉस्पिटल की उत्कृष्ट लिवर क्रिटिकल केयर यूनिट टीम को धन्यवाद दिया हैं। वह अपने कॉलेज जीवन में लौटने और पहले की तरह इसका आनंद लेने के लिए उत्सुक है।
ग्लोबल अस्पताल के आईएचएच हेल्थकेयर इंडिया के सीओओ डॉ. विवेक तलौलिकर ने कहॉं की, ग्लोबल अस्पताल के डॉक्टर मरीज के सेवा करने में सदैव तत्पर रहते हैं। ट्रांसप्लांट किए बिना इस मरीज की जान बचाने में हमें बहुत गर्व है।