सूरत में पहली ऐतिहासिक चार दिवसीय प्रभु यात्रा

सूरत । ग्रंथराज यात्रा अद्भुत अलौकिक चमत्कारी 2300 किलो का पंचधातु दशदिकपाल – नवग्रह – अष्टमंगल – क्षेत्रपाल युक्त जया – अजिता – अपराजिता – धरणेंद्र संयुक्त विजया देवी – पद्मावती – सोलह विद्यादेवी से सुसज्जित प्रभु का च्यवन – कैवल्य कल्याणक दिवस पर 5 मिनट में निर्मित आश्चर्यजनक, अलौकिक 85” इंच पंचधातु की श्री अभयपार्श्वनाथ भगवान एवं -गीतार्थ -अगमोद्धारक प. आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी महाराज द्वारा रचिता के मंगलमय एक लाख श्लोकों की 230 खंडों वाली ग्रंथराज की मंगलमय महायात्रा। ग्रंथ विमोचन जिसकी प्रस्तावना 24 विद्वान आचार्य भगवंतों ने लिखी है। ऐसा श्री अभय पार्श्वनाथ भगवान के सूरत शहर में प्रवेश के पहले दिन, प्रभु यात्रा और ग्रंथ यात्रा गोपीपुरा से शुरू हुई और कैलाशनगर में समाप्त हुई जिसमें:: पवन सानिध्य::- प.पू. आचार्य भगवंत श्री सागरचंद्रसागरश्वरीश्वरजी आदि ठाणा एवं साध्वीजी भगवंत सहित श्रोतागण उपस्थित थे। जिसमें भगवान की स्तुति और शास्त्रों की स्तुति करने के लिए सूरत शहर के माननीय महापौर श्री दक्षेशभाई मेवानी विशेष रूप से उपस्थित थे और उन्होंने भगवान की प्रार्थना और धर्मग्रंथ की स्तुति की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *