15 अगस्त की शाम को पांच घंटे तक अमरोली में शांभवी विद्यापीठ की 40 छात्राओं ने 14 विभिन्न शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किये

भारतीय संस्कृति के संरक्षण और संस्कृत को स्थानीय भाषा के रूप में पुनः स्थापित करने के लिए सूरत के अमरोली में 30 वर्षों से भरतनाट्यम नृत्य कक्षा और संस्कृत संचार कक्षा चलाने वाली शांभवी विद्यापीठ ने 15 अगस्त की शाम को पांच घंटे तक अमरोली में 40 छात्राओं ने 14 विभिन्न शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किये। पटेल कॉमर्स कॉलेज के सभागार में प्रस्तुत किया गया. प्रा. भरत व्यास और नीता व्यास ने गणमान्य व्यक्तियों को रुद्राक्ष की माला और श्रीमद्भगवद गीता पुस्तक भेंट करके सम्मानित किया। अतिथियों ने अपने कर कमलों से विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किये। मुख्य अतिथि के रूप में वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति श्री डॉ. किशोरसिंह चावड़ा ने भारतीय संस्कृति के प्रति प्रो. भरत व्यास और नीता व्यास की सेवाओं की सराहना करते हुए भाषण दिया।
भारतीय विद्यामंडल, कामरेज चार रास्ता, सूरत के अध्यक्ष श्री अरविंदभाई भक्त, ज्ञान ज्योत विद्यालय गोडादरा के प्रबंधक श्री लालजीभाई नकुम, मौनी इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक श्री जे. बी. पटेल, श्री रत्नसागर विद्यालय, छापराभाटा के प्रबंधक श्री घनश्यामभाई लादुमोरे संस्कार भारती, सूरत के अध्यक्ष श्री प्रियंकभाई जरीवाला, शिवांश कला अकादमी की कला गुरु श्रीमती रचनाबेन गोस्वामी, प्रतिभा नृत्य अकादमी की कला शिक्षिका श्रीमती प्रतिभाबेन लश्करी, और संस्कृत भारती, सूरत के समन्वयक श्री डॉ. सुरेश भाई अवैया आदि उपस्थित गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर संस्कृतोत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम का संचालन रूपाबेन दादावाला ने किया। इस कार्यक्रम की तैयारी शांभवी विद्यापीठ की कलागुरु श्रीमती निताबेन व्यास ने लगभग दो माह तक की थी। शांभवी विद्यापीठ के निदेशक प्रा. भरत व्यास संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए 1990 से गुजरात के कई कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों में संस्कृत वार्तालाप शिविर आयोजित करते हैं।
उन्होंने समाज में संस्कृत के प्रचार-प्रसार का संदेश देने के लिए सरल संस्कृत भाषा में चरित्र नाटक “पिता का संस्कृत” प्रेम प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में करीब 240 लोग मौजूद थे।

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