AM/NS Indiaने वृक्षारोपण के लिए सद्भावना सेवा फाउंडेशन के साथ एमओयू किया

हजीरा-सूरत : दुनिया के दो प्रमुख इस्पात निर्माता आर्सेलरमित्तल और निप्पॉन स्टील के संयुक्त उद्यम आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (AM/NS India) ने हजीरा क्षेत्र में पौधारोपण के लिए सद्भावना सेवा फाउंडेशन के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। सितंबर 16, 2024 के विश्व ओज़ोन दिवस के अवसर पर हस्ताक्षरित एमओयू का उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता, संरक्षण और सामुदायिक सहभागिता में योगदान करना है।

गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB), सूरत क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. जिज्ञासा ओझा की उपस्थिति में डॉ. अनिल मटू, प्रमुख – कॉर्पोरेट अफेर्स, AM/NS India, हजीरा और रमेश डांगरिया, निदेशक, सद्भावना सेवा फाउंडेशनने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस कार्यक्रम में AM/NS India की CSR और पर्यावरण विभागीय टीमें एवं GPCB के अधिकारी उपस्थित थे।

इस एमओयू के संबंध में डॉ. अनिल मटू, प्रमुख – कॉर्पोरेट अफेर्स, AM/NS India, हजीराने कहा कि, “इस पहल का उद्देश्य स्थानीय समुदायों के बीच पर्यावरण और पौधारोपण के बारे में जागरूकता पैदा करना और स्थानीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृक्ष आवरण को बहाल करना है। हमने GPCB के साथ मिलकर अपनी CSR पहल के हिस्से के रूप में विभिन्न पर्यावरण संरक्षण उपायों को लागू किया है और इन प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह पौधारोपण परियोजना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक आवश्यक कदम है। पेड़ लगाना प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक सार्थक तरीका है, जिससे न केवल हमें बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी फायदा होता है।

हजीरा में वृक्ष आवरण बढ़ाने में मदद के लिए GPCB के अनुरोध के बाद यह पहल शुरू की गई थी। GPCB अध्यक्ष ने राज्य भर में समान पौधारोपण गतिविधियों के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार की है। इस परियोजना के लिए, GPCB से जुड़ा सद्भावना सेवा फाउंडेशन वृक्षारोपण का कार्य करेगा और अगले 3 वर्षों तक पेड़ों के रखरखाव और देखभाल के लिए जिम्मेदार होगा।

मंत्री मुकेशभाई पटेल, माननीय राज्य मंत्री वन एवं पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, जल संसाधन एवं जल आपूर्ति, गुजरात सरकारने भी इस पहल को अपना समर्थन दिया है और सद्भावना फाउंडेशन जैसे संगठनों के साथ साझेदारी में एक मेगा पौधारोपण अभियान का आह्वान किया है।

यह एमओयू पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए AM/NS India के चल रहे प्रयासों में एक और मील का पत्थर है।

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