सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सवाल, एनडीएमए ने अनुग्रह राशि नहीं देने का फैसला किया

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कोविड-19 से मरने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि नहीं देने का फैसला किया था। साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने कहा कि लाभार्थियों के मन में किसी भी तरह के मलाल को दूर करने के लिए ‘एकसमान मुआवजा योजना’ तैयार करने पर विचार किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि राकोषीय वित्तीय स्थिति तथा केंद्र एवं राज्यों की आर्थिक स्थिति पर भारी दबाव के चलते अनुग्रह राशि का वहन बहुत कठिन है। हालांकि केंद्र ने न्यायालय से कहा कि ऐसा नहीं है, कि सरकार के पास धन नहीं है। केंद्र ने कहा, हम स्वास्थ्य सेवा ढांचा बनाने, सभी को भोजन सुनिश्चित करने, पूरी आबादी का टीकाकरण करने और अर्थव्यवस्था को वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराने कोष के बजाय अन्य चीजों के कोष का उपयोग कर रहे हैं। ’’
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाश पीठ ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, आप (केंद्र) सही स्पष्टीकरण दे रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार के पास पैसे नहीं हैं का तर्क देने से व्यापक दुष्परिणाम होगा। पीठ ने कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों के आश्रितों को अनुग्रह राशि देने की मांग करने वाली दो याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह टिप्पणी की। न्यायालय ने कहा कि आपदाओं से निपटने के विषय पर वित्त आयोग की सिफारिशें आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 के तहत मुआवजे पर वैधानिक योजनाओं की जगह नहीं ले सकते। पीठ ने केंद्र से सवाल किया, क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अनुग्रह राशि नहीं देने का कोई फैसला किया। मेहता ने गृह मंत्रालय द्वारा लिए कुछ फैसलों का हवाला देकर कहा कि वह एनडीएमए के इस तरह के किसी फैसले से अवगत नहीं हैं।
दरअसल, गृह मंत्रालय आपदा प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी है। शीर्ष न्यायालय ने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की मौजूदा प्रक्रिया को प्रथम दृष्टया कहीं अधिक जटिल करार देकर केंद्र से इस सरल बनाने’ को कहा, ताकि कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों के आश्रितों को जारी हुए प्रमाणपत्रों को बाद में भी दुरूस्त किया जा सके जिससे कि वे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। पीठ ने सवाल किया, क्या यह कहा जा सकता है कि कोरोना से संक्रमित हुए मरीज, जो अस्पताल में भर्ती हैं, को इस तरह का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। पीठ ने कहा, जब मानवता खत्म हो गई है और चीजों की कालाबाजारी हो रही है तो क्या कहा जा सकता है?’’

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