वैश्विक परिदृश्य पर आधारित कॉन्क्लेव में नीति निर्माताओं, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और हितधारकों ने एक मंच पर आकर जीवन और वैश्विक नागरिकता के लिए जरुरी शिक्षा पर अर्थपूर्ण चर्चा की
सूरत (गुजरात) [भारत], 31 मई: वैश्विक नागरिकता के लिए शिक्षा पर सार्थक चर्चा करने के लिए ओरो यूनिवर्सिटी, सूरत द्वारा C20 के तहत एजुकेशन फॉर लाइफ एंड ग्लोबल सिटीजनशिप पर एक कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। जिसमें सस्टेनेबल विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करने के लिए प्रतिष्ठित वक्ता और विशेषज्ञ एक मंच पर आए। सभी वक्ताओं ने जिम्मेदार वैश्विक नागरिकों को आकार देने के लिए परिवर्तनकारी शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
27 मई को ओरो यूनिवर्सिटी में आयोजित कॉन्क्लेव की शुरुआत गुरु वंदना और दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ हुई। उसके बाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. परिमल व्यास ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और सभी को चर्चा के लिए मंच पर आमंत्रित किया। उन्होंने शिक्षा, अध्ययन, और जीवन परिवर्तन के मूल मूल्यों के प्रति ओरो यूनिवर्सिटी के दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए नई शिक्षा नीति और इसे लागू करने के लिए यूनिवर्सिटी के प्रयासों के बारे में बताया।
ओरो यूनिवर्सिटी के चांसलर श्री एचपी रामा ने कॉन्क्लेव को वर्चुअली संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने शारीरिक, मानसिक, महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक आयामों को शामिल करते हुए समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रणाली में आमूल परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस परिवर्तन प्रक्रिया में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में भी बताया।
साथ ही वीडियो संदेश के माध्यम से अम्मा ने दर्शकों को हमारे जीवन में साझा करने और देखभाल करने के महत्व पर जोर दिया। उसके बाद अमृता विद्यापीठम में समन्वयक एवं बहुआयामी व्यक्तित्व डॉ. प्रेमा नेदुंगडी ने G-20 के लक्ष्यों की दिशा में प्रभावी योगदान देने के लिए C20 के उप- विषयों को प्राथमिकता देने के बारे में बात की। माता अमृतानंदमयी ने केंद्र की पहल को उदाहरणों के साथ समझाया कि कैसे कैदियों के लिए प्यार और करुणा उनके जीवन को बदल सकती है और विभिन्न C20 लक्ष्यों के महत्व और समाज पर उनके प्रभाव पर अपने विचार साझा किए। पद्म भूषण जेएनयू के पूर्व प्रो. वाइस चांसलर और कॉन्क्लेव के मुख्य अतिथि प्रो. कपिल कपूर ने आधुनिक दुनिया में प्रौद्योगिकी की भूमिका और महत्व के बारे में बताया। उन्होंने आधुनिक शिक्षा और जीवन की कुछ विशेषताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें व्यक्तिगत से अवैयक्तिक संपर्क, मानव से मशीन में परिवर्तन, मौखिक ज्ञान संस्कृति में गिरावट और समाज में संतुष्टि की कमी शामिल थे। साथ ही शिक्षा के राष्ट्रीयकरण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति और इस दिशा में इसके प्रयासों के बारे में भी अपनी राय साझा की। महाभारत से प्रेरित होकर, प्रोफेसर कपूर ने जीवन में धर्म के महत्व को दर्शाने वाली घटनाओं को प्रस्तुत करके दर्शकों को गहन अंतर्दृष्टि प्रदान की।
जबकि विदाई समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व महिला आईपीएस डाॅ. किरण बेदी ने समग्र शिक्षा के महत्व की जानकारी दी।
अंत में कॉन्क्लेव ने विचारक नेताओं, शिक्षाविदों और विशेषज्ञों को वैश्विक मुद्दों पर विचार करने का अवसर प्रदान किया और समाज की बेहतरी के लिए सतत विकास के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता के साथ कॉन्क्लेव का समापन हुआ।