![जहां मन बुद्धि चित्त और अहंकार विसर जाता है वहां समाधि है, वही परम प्रेम है: मोरारी बापू](https://suratbhumi.com/wp-content/uploads/2023/08/60295407-1ae5-4394-b136-1fa72be13f2e.jpg)
जहां मन बुद्धि चित्त और अहंकार विसर जाता है वहां समाधि है, वही परम प्रेम है: मोरारी बापू
ओशो तपोवन काठमांडू से प्रवाहित रामकथा के चौथे दिन बापू ने कहा की जो गृह में स्थित वही गृहस्थ है।।जो भटकते नहीं,चार दीवाल में रहने वाला भटकाव बंद हो गया,निजता में बढ़ गया वह गृहस्थी। तो इस स्वरूप में हनुमान जी गृहस्थ है।। हृदय रूपी गृह में रहते है और हनुमान के हृदय में राम…