महाराष्ट्र का 55वां वार्षिक निरंकारी सन्त समागम हर्षोल्हासपूर्ण वातावरण में संपन्न प्रभु इच्छा को सर्वोपरी मानना ही शाश्वत आनंद की प्राप्ति – सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज
सूरत : ‘‘शाश्वत आनंद की निरोल अवस्था को निरंतर कायम रखने के लिए प्रभु इच्छा को सर्वोपरी मानना होगा तभी भक्तिमार्ग पर चलते हुए आनंद की अवस्था को प्राप्त किया जा सकता है।‘‘ उक्त उद्गार सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 55वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के समापन पर श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते…