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नई दिल्ली । एम्स प्रमुख डॉ। रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि जिन इलाकों में कोविड पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी के पार चला गया हो, वहां लॉकडाउन जरूर लगाया जाए। गुलेरिया ने यह फार्मूला ऐसे वक्त सुझाया है, जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर में नए मामलों की सुनामी सी आ गई है, इससे भारत का चिकित्सा तंत्र ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच गया है।
एक समाचार चैनल से बातचीत में गुलेरिया ने माना कि देश का हेल्थकेयर सिस्टम सरकार द्वारा वायरस के फैलने का अनुमान लगा पाने में नाकामी की कीमत चुका रहा है, वायरस के ज्यादा संक्रामक वैरिएंट और म्यूटेंट तेजी से संक्रमण फैला रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से बढ़ते सक्रिय मरीजों का बोझ कम करने के लिए संक्रमण की चेन को तोड़ना जरूरी है।कोरोना के रोजाना के मामले भारत में मार्च के मध्य में 25 हजार के करीब थे, जो अब बढ़कर 3।5 लाख तक पहुंच गए हैं।
डॉ। गुलेरिया ने कहा, “मेरे हिसाब से हमें दोहरी रणनीति पर काम करना होगा। पहला ये कि जल्द से जल्द अस्पतालों और अन्य जगहों पर सभी तरह की सुविधाएं इलाज के लिए मुहैया कराई जाए। अस्पताल में बेड, दवाएं और ऑक्सीजन की किल्लत को तेजी से दूर करना होगा। दूसरा कोरोना संक्रमण के नए मामलों को कम करने पर ध्यान देना होगा। हम लंबे समय तक इतने ज्यादा एक्टिव मरीजों का बोझ नहीं सह सकते। “
उन्होंने कहा “संक्रमण पर काबू पाने के लिए हमें ज्यादा पॉजिटिविटी रेट वाले इलाकों पर फोकस करा होगा। अगर यह सबसे ज्यादा होगा तो हमें कंटेनमेंट जोन बनाना पड़ेगा। यहां तक कि लॉकडाउन लगाना पड़ेगा। तभी संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सकता है और नए मामलों को नीचे लाया जा सकता है।” गौरतलब है कि भारत में कोरोना के रोजाना के केस मार्च मध्य के 25 हजार से बढ़कर अब 3।5 लाख तक पहुंच गए हैं। एक्टिव केस यानी जिन मरीजों का इलाज चल रहा है, उनकी तादाद बढ़कर 25।5 लाख तक पहुंच गई है। अस्पतालों और चिकित्साकर्मियों पर जबरदस्त दबाव है।