माहिती ब्यूरो सूरत: ओलपाड़ के नघोई गाँव में सामाजिक वनीकरण विभाग-सूरत द्वारा मियावाकी पद्धति से १.५० हेक्टेयर में वन कवच तैयार किया गया है। इस कार्य में महिला वनरक्षक हेतलबेन जालंधरा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिन्होंने खारे भूभाग पर फैले गंडा बबूल को हटाकर ५८ प्रजातियों के १५००० वृक्ष उगाकर मियावाकी पद्धति से हरित वन क्षेत्र विकसित किया।बचपन से ही प्रकृति के प्रति गहरा लगाव रखने वाली और वर्तमान में ओलपाड़ तालुका में वनरक्षक के रूप में कार्यरत हेतलबेन भरतभाई जालंधरा ने वनों के संरक्षण का एक अनूठा और सफल प्रयोग किया है।


ओलपाड़ क्षेत्र में ‘वन कवच’ विकसित करना चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि यह खारा क्षेत्र था, जहाँ वृक्षारोपण और उनके संरक्षण में कठिनाइयाँ थीं। हेतलबेन के नेतृत्व में गंडा बबूल से ढकी भूमि को साफ किया गया और पानी के छिड़काव के साथ वृक्षारोपण हेतु तैयार किया गया। सूरत, व्यारा, अंकलेश्वर और अन्य क्षेत्रों से पौधों को एकत्र कर कुल १५००० छोटे-बड़े पौधों का रोपण किया गया।
वन कवच के निर्माण के बारे में वनरक्षक हेतलबेन जालंधरा ने बताया कि नघोई गाँव में वन कवच विकसित करने के लिए मियावाकी पद्धति अपनाई गई, जो जापानी तकनीक है और कम स्थान में अधिक वृक्षों को उगाने की विधि है। इस पद्धति में पौधों को पास-पास लगाया जाता है, जिससे वे तेजी से बढ़ते हैं और घना जंगल तैयार होता है। यहाँ केवल आठ महीनों में १.५० हेक्टेयर क्षेत्र में ५८ प्रकार के औषधीय, फलदार और इमारती वृक्षों सहित कुल १५००० पौधे लगाए गए हैं।तेजी से जंगल विकसित होने से प्रदूषण कम होगा, वातावरण शुद्ध होगा और स्थानीय लोगों को इमारती तथा जलाऊ लकड़ी की सुविधा भी मिलेगी।
मूल रूप से सौराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाली और वर्तमान में सूरत जिले के कडोदरा में रहने वाली तथा ओलपाड़ में कार्यरत हेतलबेन ने कहा कि गुजरात गौण सेवा चयन मंडल द्वारा वनरक्षक के रूप में चयन होने के बाद उन्होंने कणकपुर-कंसाड (सचिन) से अपने करियर की शुरुआत की। वर्ष २०२० में ओलपाड़ तालुका में स्थानांतरण होने के बाद यहाँ कार्य करने का अवसर मिला। वन कवच के निर्माण से वन्य जीवों और पक्षियों के लिए आरामदायक आश्रय और भोजन उपलब्ध हुआ है। पेड़ों को पास-पास लगाने से उनकी जड़ें एक-दूसरे को मजबूती से पकड़कर मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करती हैं। ये वृक्ष तेज धूप से भी बचाते हैं, जिससे इस क्षेत्र की जैव विविधता बढ़ रही है। जंगल के अंदर प्रवेश के लिए गेट, पाथवे और गज़ेबो (छोटे विश्राम स्थल) भी बनाए गए हैं। इस छोटे वन के निर्माण से ओलपाड़ और आसपास के लोगों को रोजगार मिला है।
वर्तमान और नई पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए हेतलबेन कहती हैं कि हर नागरिक को अपने घर के आसपास कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए, जिससे पर्यावरण का संरक्षण हो सके। पक्षियों की मधुर चहचहाट से वातावरण गूंजेगा और प्रकृति के साथ सामंजस्य मजबूत होगा।
उन्होंने आगे कहा कि नघोई गाँव का यह छोटा वन भविष्य में एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है, और इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। ओलपाड़ के खारे भूभाग में किया गया यह नवाचार गुजरात के लिए प्रेरणादायक साबित होगा। इस विश्व वन दिवस पर, आइए हम सभी भी एक वृक्ष लगाकर प्रकृति से अपने रिश्ते को और मजबूत बनाएं।