सुरत भुमि, सूरत। दिनेश टेक्सटाइल एवं अवध सेवा समिति के द्वारा आयोजित भव्य श्री राम कथा में पूज्य श्री गुरुदेव भगवान के मुखारविंद से अमृतमयी कथा में अविरल भक्ति की धारा सूरत में बह रही है। जिसमे कल हमारे बीच हमारे परम मित्र एवं (FOSTTA ) के टेक्सटाइल अध्यक्ष एवं हमारे परम मित्र श्री कैलाश हाकिम जी पधारे एवं पूज्य महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किये एवं पूज्य गुरुदेव भगवान की मधुर वाणी से भक्त और भागवान के अगाध प्रेम की कहानी धर्मपरायण भक्त केवट जी की कथा सुनाये और महाराज जी बताये की श्री राम कथा श्रवण से जीवन धन्य हो जाता है एवं निस्वार्थ भावना के साथ प्रभु राम की चरित्र को अपनाये एवं श्री राम प्रेम मूर्ति के समान है। भगवान श्री राम और केवट की कथा सुनाते हुए बताया कि श्री राम ने केवट से नाव मांगीए पर वो नहीं लाए। वह कहने लगे मैंने आपका भेद जान लिया। आपके चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी बूटी है। जिसके छूते ही पत्थर की शिला सुंदरी स्त्री हो गई ;मेरी नाव तो काठ की है। हे नाथ! मैं चरण कमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा लूँगा, मैं आपसे कुछ उतराई नहीं चाहता। हे राम! मुझे आपकी दुहाई और दशरथजी की सौगंध है, मैं सब सच.सच कहता हूँ। लक्ष्मण भले ही मुझे तीर मारें, पर जब तक मैं पैरों को पखार न लूँगा, तब तक हे हे कृपालु! मैं पार नहीं उतारूँगा।
केवट के प्रेम में लपेटे हुए वचन सुनकर करुणाधाम श्री रामचन्द्रजी जानकीजी और लक्ष्मणजी की ओर देखकर हँसे। कृपा के समुद्र श्री रामचन्द्रजी केवट से मुस्कुराकर बोले भाई! तू वही कर जिससे तेरी नाव न जाए। जल्दी जल लाओ और चरण धो लो।