वेसू क्षेत्र के असारा में रहने वाले कोरडिया भारमलभाई मालजीभाई परिवार द्वारा सिद्धिपथ दर्शक श्री उपधान तपोत्सव का आयोजन आज 650 से अधिक उपधान तप साधकों द्वारा मोक्षमाल धारण कर 47 सुंदर आराधनाएं पूर्ण कर किया गया, जिसमें निश्रा प्राप्त हुई।
ऐसे भक्तियोगाचार्य प.पू.आ.भ.श्री यशोविजय सूरीश्वरजी म.सा., शास्त्र अनुसंधानकर्ता प.पू.आ.भ.श्री मुनिचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा., संघ संस्थापक प.पू.आ.भ.श्री हेलेश सूरीश्वरजी म.सा. साथ ही मुनि भगवंत के सान्निध्य में 700 से अधिक श्रमण-श्रमणियों की अगवानी की गई। उपधान तप का अर्थ है सांसारिक जीवन से मुक्त होकर उच्च जैन भिक्षु जीवन का अनुभव करने का मार्ग और मोक्ष की राह पर एक कदम बढ़ाने का एक नेक प्रयास। वह है – उपधान तप करना।
एक ऐसा अनुभव जो शायद अनंत जन्मों में नहीं हुआ होगा…
शरीर से आत्मा की ओर जाने का अवसर
वह उपधनाताप है…!!!!!
मुक्ति की खोज में आत्मानुभूति नोएक प्रकाश
वह उपधनाताप है…….!!!!!
अंधेरी आत्मा के लिए एक नई रोशनी, एक नया जादू..
वह उपधनाताप है…….!!!!!
विचार धारा में बहने का मौका
वह उपधनाताप है…!!!!!
वेसु बलार फार्म में यशो कृपा नगरी में बड़े हर्षोल्लास के साथ, परिवार, रिश्तेदार, साजन मजन, संगीत, पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से, एक शानदार माहौल में, रंग-बिरंगी भक्ति से सराबोर माहोल में संपन्न हुआ और बहुत बड़ी संख्या में जैन श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे।