देवउठनी एकादशी: भक्ति और परंपरा का अद्वितीय महत्व

भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में व्रत और त्योहारों का महत्वपूर्ण स्थान है, जो भक्ति और समर्पण के भावनात्मक महत्व को उत्कृष्ट करते हैं। इनमें से एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है “देवउठनी एकादशी” जो हिन्दू कैलेंडर में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सूचित करता है।

देवउठनी एकादशी का अर्थ और महत्व

देवउठनी एकादशी, जिसे तुलसी विवाह एकादशी भी कहा जाता है, विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन को लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, और ज्यादातर उत्तर भारतीय राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाते हैं। देवउठनी एकादशी के महत्व में कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने योगनिद्रा से जागते हैं और सभी देवी-देवताओं के लिए तुलसी के साथ विवाह करते हैं।

देवउठनी एकादशी का पर्व

इस अद्वितीय दिन को लोग विशेष रूप से तुलसी के पौधे को सजाकर, उसे पूजा अर्चना करके और व्रत करके मनाते हैं। सुबह उठकर व्रती व्यक्ति नीति, धर्म, श्रीमद्भागवत, या अन्य पुराणों की कथा सुनते हैं और फिर संतुलित आहार लेते हैं।

देवउठनी एकादशी के लाभ

देवउठनी एकादशी का अनुसरण करने से मान्यता है कि यह मनुष्य को आकर्षक और सकारात्मक बनाता है, साथ ही समस्त परिवार को शांति और सुख देता है। इस व्रत के द्वारा भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त किया जा सकता है और आने वाले समय में शुभ घटनाएं होती हैं।

इस पावन अवसर पर, हम सभी को शुभकामनाएं और देवउठनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं!

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