पीएम मोदी ने गुजरात को विकास की दिशा में आगे ले जाने का मजबूत संकल्प व्यक्त किया

बनासकांठा | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को बनासकांठा जिले के थराद से 8034 करोड़ रुपए की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और घोषणाएं कीं। मोरबी के हादसे से व्यथित हुए प्रधानमंत्री ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए रोड शो एवं स्वागत सहित अन्य कार्यक्रमों को रद्द कर जनकल्याण के विकास कार्यों का सादगीपूर्ण तरीके से शिलान्यास किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात आज शोक में डूबा है। देशवासी भी अत्यंत दुखी हैं। मोरबी में हुए हादसे में अपने परिवारजनों, स्वजनों और छोटे बच्चों को गंवाने वाले पीड़ित परिवारों के साथ हम सभी की संवेदनाएं हैं। उन्होंने मां अंबा की धरती से लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि राहत और बचाव कार्य में कोई कसर बाकी नहीं रखी जाएगी। भूपेंद्र पटेल और उनकी सरकार के मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह स्वयं इस बात को लेकर दुविधा में थे कि थराद जाएं या नहीं, लेकिन लोक कल्याण के कार्य और सेवाधर्म के संस्कारों से बंधे होने के कारण वह मन मजबूत करके यहां आए हैं। प्रधानमंत्री ने थराद, बनासकांठा समेत पूरे उत्तर गुजरात के लिए पानी के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि जल प्रकल्प के इन 8000 करोड़ रुपए के विकास कार्यों से उत्तर गुजरात के 6 जिले और 1000 से अधिक गांवों की 2 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि गुजरात की साहसी प्रजा मुसीबतों का सामना कर, पसीना बहाकर परिणाम हासिल करने का प्रयास करती है, बनासकांठा जिला इस बात का जीता जागता प्रमाण है। पशुपालन, डेयरी, उद्यानिकी और सिंचाई सहित विभिन्न योजनाओं के जरिए बनासकांठा का विकास हो रहा है। सरकार किसानों को समृद्ध बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि ‘पीएम किसान सम्मान निधि’, ‘वनधन योजना’ और किसानों को बैंक ऋण देने जैसी योजनाओं के जरिए सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया है। मोदी ने कहा कि उर्वरकों की कीमतों में असमानता के कारण किसानों की उलझन को दूर करने तथा किसानों की फसल पीली न हो जाए, इसके लिए अब से फर्टिलाइजर ‘भारत’ ब्रांड नाम से मिलेंगे। उर्वरक की 2000 रुपए से अधिक मूल्य वाली बोरी को किसानों को 260 रुपए में दिया जाएगा। उन्होंने किसानों से सात्विक उर्वरक और प्राकृतिक खेती पर जोर देने का अनुरोध करते हुए कहा कि बनासकांठा पशुपालन आधारित जिला है, ऐसे में किसान और पशुपालक दूध के साथ-साथ पशुओं के गोबर से भी कमाई कर सकें, इसके लिए ‘गोबर धन’ योजना लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि बनासकांठा के नडाबेट में सीमा दर्शन कार्यक्रम के जरिए यह उदाहरण प्रस्तुत किया गया है कि सरहद स्थित गांवों किस तरह जीवंत बनाया जा सकता है। उन्होंने ‘वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज’ योजना के माध्यम से ऐसे गांवों को दुनिया के समक्ष उजागर करने का संकल्प व्यक्त करते हुए जिले के नागरिकों से एक बार भुज स्थित ‘शहीद स्मृति वन’ जाने और भूकंप में जान गंवाने वाले शहीदों के परिवारजनों को सांत्वना देने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने उत्तर गुजरात के प्रति विशेष संवेदना का उल्लेख करते हुए कहा कि बनासकांठा को वंदन करने का मन होता है। टपक सिंचाई और सूक्ष्म सिचाई के क्षेत्र में बनासकांठा जिले ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। बनासकांठा विकास की नई गाथा लिख रहा है। उन्होंने कहा कि वाव, सुईगाम और कांकरेज सहित जिले के ऊंचाई वाले भौगोलिक क्षेत्रों में मां नर्मदा का नीर पहुंचाया जाएगा। मुक्तेश्वर डैम और करमावत जैसे तालाबों को भरा जाएगा, जिससे इन क्षेत्रों की पानी की समस्या का स्थायी समाधान होगा। उन्होंने कहा कि पहले गुजरात में साइकिल भी नहीं बनती थी, अब विमान बनता है। उन्होंने गुजरात के विकास को थमने न देने और ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ के जरिए भारत के विकास के लिए गुजरात को विकसित बनाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कांग्रेस पर कड़े प्रहार करते हुए कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर कांग्रेस अखबारों में विज्ञापन देती है, लेकिन उसमें सरदार साहेब की कोई तस्वीर नही और सरदार साहेब का नाम नहीं। कांग्रेस पहले सरदार साहेब को तो जोड़े फिर देश जोड़ने का काम करे। उन्होंने कहा कि गुजरात सरदार साहेब का अपमान कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। मोदी ने सरदार पटेल के बताए मार्ग पर और उनके आशीर्वाद से गुजरात को विकास की दिशा में आगे ले जाने का मजबूत संकल्प जताया।
इस अवसर पर जलापूर्ति और जल संसाधान मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि आज प्रधानमंत्री ने 8000 करोड़ रुपए से अधिक की रकम की जल योजनाओं की भेंट देकर उत्तर गुजरात को उत्तम गुजरात बनाने की दिशा में संकल्प किया है। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक में भूजल स्तर काफी नीचे था, जो आज 6 से 8 फुट जितना ऊंचा उठा है। दो दशक पहले बनासकांठा जिले में 3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती थी, आज 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है। श्रेष्ठ जल प्रबंधन के कारण आज राज्य में 72 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। इस सरकार ने शुष्क क्षेत्र बनासकांठा और कच्छ जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में नर्मदा का पानी पहुंचाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आज दी गई जल योजनाओं की भेंट से गुजरात आत्मनिर्भर बनेगा और आत्मनिर्भर गुजरात से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा।
कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जिले के प्रभारी मंत्री गजेन्द्रसिंह परमार, मंत्री कीर्तिसिंह वाघेला, सांसद परबत पटेल, भरतसिंह डाभी और दिनेश अनावाडिया, विधायक शशिकांत पंड्या और दिलीपभाई ठाकोर, पूर्व मंत्री हरिभाई चौधरी, रजनीकांत पटेल, शंकर चौधरी, केशाजी चौहाण, हरजीवन पटेल, कांति कचोरिया, अग्रणी नंदाजी ठाकोर, गुमानसिंह चौहाण सहित पदाधिकारी और बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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