सरकार से वार्ता के लिए तय नहीं हुई तारीख, किसान बोले- अब आर-पार की लड़ाई

नई दिल्ली । केंद्र सरकार की ओर से किसानों को बातचीत के लिए आमंत्रण पर किसान यूनियनों की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। किसान नेता दर्शन पाल के ई-मेल के जवाब में किसान यूनियनों से चर्चा के बाद बातचीत के लिए अपनी सुविधा के अनुसार तारीख चुनने का विकल्प मांगा है। हालांकि लंबे समय से अपनी मांगों पर डटे किसानों के रुख को देखकर फिलहाल ऐसा नहीं लग रहा है कि किसान सरकार से बातचीत के लिए जल्द तैयार होंगे। 20 दिसंबर को पांच पन्नों के भेजे गए पत्र में कृषि संबंधित विभिन्न पहलुओं पर बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। भाकियू (राजेवाल)के सचिव ओंकार सिंह ने कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है। किसानों पहले की तरह अपनी मांगों पर डटे हुए हैं, एकमात्र मांग कृषि कानूनों को रद्द करने की है। 
8 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक हुई थी। इसके एक दिन दोबारा बातचीत के प्रस्ताव को किसानों ने खारिज कर दिया था। सरकार की ओर से वार्ता के आमंत्रण दिया गया, लेकिन किसानों ने भूख हड़ताल की शुरुआत कर दी। आगे भी 27 दिसंबर तक किसानों ने अपने विरोध की रुपरेखा तय कर दी है। 

  • किसानों ने की भूख हड़ताल, कहा- ये अब आर-पार की लड़ाई
    कृषि कानूनों के विरोध में 26 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। उनका हौसला हर दिन बढ़ रहा है। सोमवार को किसानों ने उनकी मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू कर दी। सुबह 11 बजे से 11 किसान गाजीपुर प्लाईओवर के ऊपर बने मंच पर हड़ताल पर बैठ गए। शाम पांच बजे तक यह जारी रही। इस दौरान मंच से अन्य किसान नेताओं का संबोधन भी चलता रहा। किसानों ने कहा कि अब ये आर-पार की लड़ाई है। सरकार को उनकी मांग माननी ही होगी। उन्होंने कहा उनके कई साथी इस आंदोलन में शहीद हुए हैं। इंसाफ की इस लड़ाई में वह आगे भी बलिदान देने को तैयार हैं। जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती पीछे नहीं हटेंगे। हड़ताल आगे भी जारी रहेगी। 
    भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा देश के अलग-अलग हिस्सों से जो लोग आंदोलन में आना चाहते हैं। सरकार उनको रोक रही है। ऐसा करके केंद्र किसानों के हौसले को कम करना चाहता है, लेकिन यह मंशा वह पूरी नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि जो किसान कृषि बिलों के समर्थन में रैली निकाल रहे हैं। वह उनसे मिलेगे, और जानकारी लेंगे कि इन नए कानूनों से उनको किस प्रकार से फायदा मिल रहा है। इन कानूनों में ऐसा क्या लाभ है, जो आंदोलन कर रहे किसानों को पता ही नहीं चल पा रहा। सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है, लेकिन इन कानूनों से किसान घाटे में ही जाएगा।

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