वड़ोदरा । वड़ोदरा के पारूल विश्वविद्यालय में संचालित डिपार्टमेंट ऑफ जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेशन की ओर से द असेम्बली इलेक्टशन 2022 इन उत्तराखंड विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार के मुख्य अतिथि विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के मानद उपकुलसचिव , साहित्यकार व राजनीतिक विश्लेषक श्रीगोपाल नारसन ने फेकल्टी सदस्यों, विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों को संबोधित किया।
अपने सम्बोधन में श्रीगोपाल नारसन ने उत्तराखंड की भोगोलिक स्थिती से अवगत कराते हुये उत्तराखंड में व्याप्त समस्याओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने उत्तराखंड में भाजपा एवं कांग्रेस के विभिन्न मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में हुये विभिन्न विकास कार्यों, राजनीतिक दलों घोषणा पत्रों में वर्णित विभिन्न घोषणाओं के क्रियान्वयन को विशलेषात्मक तरीके से बताया। उन्होंने पर्यावरण से सबंधित विभिन्न आंदोलनों की जानकारी भी दी तो वही कहा कि उत्तराखंड में एक बार भाजपा एवं एक बार कांग्रेस की सरकार बनती रही है।उन्होंने जनता की आशाओं पर खरा नहीं उतरने के कारण राजनीतिक दलों के प्रति अविश्वास का कारण बताया। उन्होंने जल, जंगल एवं जमीन को उत्तराखंड का मुख्य मुद्दा चुनाव में रहने की बात कही। वहीं विकास के नाम पर उत्तराखंड के पर्यावरण से छेड-छाड़ किया जाना, आम जन को रास नहीं आया।इसी कारण यह चुनावी मुद्दा बन रहा है। सरकारों को बदलने में भी इस मुद्दे ने अहम भूमिका निभाई,इस कारण इससे नकारा नहीं जा सकता । श्रीगोपाल नारसन ने बताया कि भाजपा आगामी वर्ष अपने पांच साल पूरे करने जा रही है लेकिन एक बार भाजपा एवं एक बार कांग्रेस की सरकार का मिथक इस बार भी टूटता नजर नहीं आ रहा है।उन्होंने कहा कि जब भी कोई सरकार आम जनता की आशाओं पर खरा नहीं उतरती है तो जनता सरकार को ही बदल देती है एवं जनादेश के सर्वोपरी आदेश के आगे किसी की भी नहीं चलती। इसका उदाहरण हमें प्रदेशो में ही नही बल्कि समय-समय पर केंद्र सरकारों के परिवर्तन से भी देखने को मिलता है। उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनावों की सभी 70 सीटों पर चुनाव के बाद उंट किस करवट बैठेगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन हां, यह तय है कि दोनों ही पार्टियों ने अभी से अपनी जड़ों को मजबूत करने के लिये युद्ध स्तर पर कार्य करने आरंभ कर दिये है। वहीं भाजपा व कांग्रेस दोनों ही ऐसे मुद्दों की तलाश में है, जो जनता को आर्कर्षित कर सके और एक दूसरे के वोट बैंक में सैंध लगाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी को अपने खाते में ला सके।इसके लिये दोनों ही पार्टियां मजबूती से व अभी से चुनावी मैदान में ताल ठोककर खडी होती नजर आ रही है। उन्होंने प्रशनोत्तरी के माध्यम से प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं को भी शांत किया।
इससे पूर्व पारूल विश्वविद्यालय के डीन प्रो. रमेश कुमार रावत ने वेबीनार के आरंभ में श्रीगोपाल नारसन का स्वागत उद्बोधन के माध्यम से किया एवं वेबीनार के अन्त में आभार जताया। वेबीनार में देश के विभिन्न प्रदेशो से सैकंडो विद्यार्थियों, शिक्षकों, शोधार्थियों एवं पत्रकारों ने भाग लिया।