सूरत। आषाढ़ वद 1 गुरुवार के शुभ दिन पर गोपीपुर का पु. अग्रणी श्री सागरानंदसुरिजी म.सा. जो सागरजी महाराज के हुलामना के नाम से प्रसिद्ध हैं। माना जाता हैं कि सूरत सागरजी से संबंधित है, जैनियों के बीच अच्छी तरह से जानी जाती है गुरुदेव की समाधिभूमि पर गुरु मंदिर के मध्य में गुरुशक्ति अवतरण का अद्भुत कार्यक्रम अशोकसागर सुरीश्वरजी को म.सा. के सानिध्य में आयोजित किया गया।
45 आगमों को बचाने वाले इन गुरुदेव ने सूरत में अथाह उपकार किया है। सूरत के जौहरियों में – जैन समाज में धार्मिक चेतना जागृत हुई और आगम मंदिर का निर्माण भी कराया। वह गोपीपुरा के लीमडा रिसॉर्ट में 15 दिनों तक ध्यान की स्थिति में रहे और फिर स्वर्ग सिधार गए। गोपीपुरा की धार्मिक विरासत को बचाने के लिए गुरुशक्ति नवपल्लवित बने इसलिए पू. आ. सागरचंद्रसागरसूरि के मार्गदर्शन में गुरुमंदिर में प्रथम क्षेत्रजागरण विधान का मंत्र अनुष्ठान -हवन के साथ किया। नबाद गुरुमूर्ति के पांच पवित्र अभिषेक, अवतरण विधान और 12500 पुष्पांजलि के साथ च्ह्रीं जौं सागरानंदसुरि सद्गुरूवे नम: मंत्र का जाप किया गया। अनेक भक्त भक्तों और तपस्वी साधु-संतों की आस्था के केंद्र में इन गुरुदेव को 27,54,108 परिक्रमाएं की गईं। इस अवसर पर सूरत के विभिन्न संघों के आचार्य, पदस्थ और बड़ी संख्या में साध्वीगण उपस्थित थीं। गुरुमंदिर में प्रत्येक गुरुवार को दर्शनार्थी को भातुं दिया जाएगा। आदि-व्याधि-उपाधि को हरनेवाले और स्मरणशक्ति बढ़ाने वाले गुरुदेव के मंत्र जप आस्था का स्थान बन गया है।