कुछ दिनों पहले एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान मेंरी मुलाकात एक महिला कार्यकर्ता से हुई,
बातचीत के क्रम में उसने अपना नाम गीता सिंह बताया.
मैंने गीता सिंह का नाम सुना था, पर आज मुलाकात पहली बार हो रही थी।
देखने में साधारण नैन नक्श की थी पंरतु सधे हुए मेकअप में सुंदर लग रही थी।मेचिंग साड़ी ब्लाउज और मेचिंग चूड़ी बिंदी में सुंदर लग रही थी। अपने आप को संवारने में उसने कोई कसर नहीं
छोड़ी थी।
बात करने का अंदाज भी निराला था । चेहरे पर मुस्कान बिखेरते हुए ,वातावरण में संगीत खोल रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे सभी लोग उसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। सभी लोग नजरें चुराकर उसे ही देखे जा रहे थे।
मेरे एक सहकर्मी में मुझसे उसका परिचय करवाया हमारी बातचीत शुरुआती दौर में हुई । हमने दूसरे को अपना परिचय दिया। उसे जैसे ही पता चला कि, मैं मीडिया से हूं उसने मेरी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। मुझे गीता सिंह के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, अतः मैंने भी उसकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और टेलीफोन एक नंबर का आदान प्रदान कर अपने अपने रास्ते चलते बने.
टेलीफोन पर मेरी और गीता जी की एक दो बार बातचीत हुई .उसकी बातों से लगा कि वह एक पढ़ी
लिखी संभ्रांत लड़की है, और वह राजनीति में अपना करियर बनाना चाहती है, इस कारण वह छोटे-छोटे चुनाव सभाओं का हिस्सा बनती है।इस क्षेत्र के नेताओं के साथ उसका उठना बैठना भी था , और वह भी एमएलए के टिकट के लिए प्रयास कर रही ।
मुझे अच्छा लगा कि चलो एक जागरूक महिला है जो राजनीति में आना चाहती हूं, वरना हमारी देश की राजनीति में महिलाएं आना नहीं चाहते, क्योंकि हमारे देश की राजनीति में महिलाओं को हीन दृष्टि से देखा जाता है। स्त्री और पुरुष का अंतर अगर किसी भी क्षेत्र में सबसे अधिक है तो वह राजनीति ही है।राजनीति में पुरुष नेताओं का वर्चस्व इतना अधिक है कि महिलाएं इस क्षेत्र में अपना मुकाम बना ही नहीं पा रही हूं.
राजनीति में औरतों की भागीदारी काफी कम है और 33% आरक्षण की बात होती तो है मगर यह कानूनी रूप नहीं ले पा रही हैं.
मुझे अच्छा लगा कि गीता जी राजनीति में हाथ-पांव मार रही हैं। अपना भाग्य आजमा रही है।
यह किसी महिला के लिए यह आसान नहीं है. कहने को तो हमारे देश में जनतंत्र है और देश का कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़कर राजनीति का हिस्सा बन सकता है, परंतु राजनीति में आना आसान नही है,क्योंकि कोई एक व्यक्ति जब सफल नेता बनता है तो वह अपना पूरा जीवन राजनीति में लगा देता है ।उस नेता के नीचे काम करने वाले कार्यकर्ता चाहे जितना भी मेहनत कर ले परंतु वह उस नेता का स्थान नहीं पाते. उसके परिवार वाले जरूर राजनीति में आ जाते है।
‘ एम एल ए’ या, ‘एम पी’दो तीन बार तो जरूर एम एल ए या, एम पी तो बन जाते हैं.इस बीच हाथ पांव मारने वाले लोग नेताओ के मोहरे बने होते है
एवं राजनीति में आने के लिए नेताओं की चापलूसी करते रहते है।
जनतंत्र की इस व्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा लोग जो शासन व्यवस्था का हिस्सा बनना चाहते है, उन्हे तब मौका मिलता जब किसी चुनावी उम्मीद्वार को एक बार ही चुनाव में प्रत्याशी बनने का मौका मिलता.
राजनीति की इस विपरीत परिस्थिति में एक पुरुष का राजनीति में आना ही इतना मुश्किल है तो एक महिला के लिए और भी मुश्किल हो जाता है राजनीति का सफर तय करना ।टिकटो की खरीद बिक्री,ने राजनीति का सफर और मुश्किल बना दिया है जिसकी पहुंच बहुत दूर तक है वह लोग ही पार्टी का टिकट हासिल कर पाते हैं.
ऐसी स्थिति में गीता जी का राजनीति में आने का सपना मुझे थोड़ा मुश्किल लग रहा था ।
जो महिलाएं राजनीति में हैं, वह निश्चित ही किसी न किसी राजनीतिक परिवार से होती हैं. इन्ही कारणों से आसानी से एमएलए या एमपी का टिकट मिल जाता है परंतु एक अन्य महिला की राजनीति में आना बहुत मुश्किल है.बिना राजनीतिक बैकग्राउंड के राजनीति मुश्किलहै । खैर गीता जी के लिए मेरी शुभ कामनाएं थी।
चुकि मैं मिडिया से था.पत्रकार के तौर पर मुझे पूरे भारत के विविध राज्यों के लोग जानता थे। मैं कई पत्र-पत्रिकाओं हमारे द्वारा भेजी खबरें समय समय पर आती रहती थी फिर चाहे वो प्रिंट मीडिया हो या फिर इलेक्ट्रिक मिडिया न्यूज़ चैनल हो में कहीं न्यूज चैनल में सिधे और कहीं न्यूज चैनल में पर्दे के पिछले रहते में भी अपनी सेवाएं देता था। गीता जी को जैसे ही मेरी पूरी सच्चाई पता चली उसने मुझसे टेलिफोनिक कांटेक्ट बढ़ाना
चाहा.
राजनीति में अपने प्रचार प्रसार के लिए मीडिया से अच्छा माध्यम और क्या हो सकता है.इसमें भी प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों का साथ हो तो सोने पर सुहागा हो जाता है.गीता जी को मुझ में उम्मीद नजर आई.
मैं भी पत्रकार था यूं ही बिना जाने परखे किसी के आलेख या कोई न्यूज़ मीडिया में नहीं डाल सकता था, क्योंकि मेरी विश्वसनीयता खतरे में पड़ जाती है एवं खुद के रेपुटेशन पर भी असर पड़ता है.इसलिए हम मीडियाकर्मियों को भी फूंक-फूंक कर कदम रखना पड़ता है ताकि वास्तविक और सही चीजें मीडिया में दिखाई जाए.
गीता जी के बार-बार रिक्वेस्ट करने पर मैंने उनके बारे में पता लगाया और एक दिन मैंने उसे अपने ऑफिस में बुलाया.
गीता सिंह जी मेरे ऑफिस आते के साथ थोड़ा गर्म लहजे से कहा आप मेरी न्यूज़
क्यों नहीं प्रकाशित कर रहे हैं, बतौर मैं रुपया देने के लिए भी तैयार हूं?
मैंने गीता जी से कहा कि, आपकी खबरें मैं किस आधार पर समाचार पत्र में प्रकाशित करवाऊ.
क्या आप एक समाजसेविका, एमएलए ,एमपी या फिर कोई साहित्य व्यक्तित्व है या फिर कला जगत से आप जुड़ी हुई हैं ?आप बताइए मुझे कि, मैं किस आधार पर आपकी खबरें मीडिया में प्रकाशित करवाऊ?
मेरे एक साथ इतने सवाल की बौछार पर गीता जी
तिलमिला उठी.
उसने कहा कि हां मैं समाजसेविका हूँ, क्षेत्र में होने वाले सभी सामाजिक कार्यक्रम में जाती हूँ, एमएलए, एमपी के साथ मेरा उठना बैठना है. शहर के बड़े बड़े अधिकारियों से भी मेरी जान पहचान है.
मैंने गीता जी से कहा कुछ दिनों पहले आप उसी अधिकारियों में से एक अधिकारी के साथ एक सप्ताह पहले दिल्ली गई थी.
गीता जी चौक उठी ,मुझसे ऐसे सवालों की बिल्कुल भी उम्मीद उसे नही थी.
उसने अवाक आवाज में मुझसे कहा आपको कैसे पता? ये तो मेरे और गुप्ता जी का निजी
मामला है?
मैंने कहा गीता जी, आपके और गुप्ता जी के निजी मामला को गुप्ता जी ने निजी क्यों नही रखा? गुप्ता जी मेरे जान पहचान वाले हैं और मैंने जब आपके बारे में उससे पूछा तो उसने सारी सच्चाई आपकी बता दी
.इनफैक्ट यह तक बता दिया कि आप जिनके साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहती है वह भी आपकी सारी सच्चाई जानता है कि, कब और कहां और किसके किसके…साथ रहती हैं?
गीता जी तिलमिला उठी, मुझसे कहने लगी ,ये सारी बातें आपको कैसे पता है?
मैंने कहा कि आप अपना राजनीतिक कैरियर बनाने के लिए जिन लोगों की चापलूसी करती हैं ,वही सारे लोग आपका इस्तेमाल कर रहे हैं ?
आपको लग रहा है जैसे हो आपके भविष्य को संवार देंगे परंतु, वही लोग आपके भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं? यकीन न हो तो मैं बात करवाउ उनसे?
जिस गुप्ता जी और जिस बॉयफ्रेंड के साथ आप लिव इन रिलेशनशिप में रह रही हैं, मैं उन दोनों को जानता हूँ,
फोन लगाता हूं, तब आपको आपकी असलियत पता चलेगी .
मैंने गुप्ता जी को फोन मिलाया और गीता जी को चुप रहने को कहा,
रिंग जाते ही गुप्ता जी ने फोन उठाया मेंरा हाल समाचार पूछा.जरूरी बातों के बाद मैंने गुप्ता जी से कहा –
कल गीता जी आई थी मुझसे मिलने,
गीता आई थी, वाह यार मैं तो उसे पटा ही चुका हूँ, तू भी पटा ले और ऐश कर,
नही वो प्रचार के लिए आई थी,
सुन भाई गीता से राजनीति नही होनेवाली बैसाखी के सहारे राजनीति नही होती?
गुप्ता जी की बात सुनकर गीता जी की आंखों में आंसू आ गए.
मैंने फोन रखने के बाद गीता जी से कहा आप राजनीति करने तो निकली मगर दिशा भटक
गयी?
इंसान को अपने बल बुते पर ही, कोई भी सफर तय करनी चाहिए.अभी भी आपके पास समय है, पीछे लौट जाइए.सामाजिक कार्य कीजिये. लोगो से जान पहचान बनाइए, आपका भविष्य बन जाएगा.
एम एल ए से एम पी तक का सफर तय कर लेंगी.
मैं आपका साथ दुगां.
“इंसान को ऐसा लगता है कि चोरी छुपे वह जो कुछ भी कर रहा है, वह किसी को पता नहीं चलेगा, परंतु ऐसा नहीं है, पूरी दुनिया को सारी बात पता चल जाती है,बस गलत करने वाले को पता नहीं होता है.कि उसकी सच्चाई पूरी दुनिया जान रही होती है बस करने वाले को पता नही है.”
अब भी समय है आपके पास अब वक्त है, आपकी सच्चाई गिने चुने लोग जानते अब भी संभल जाइए.
मैं कोशिश करुगी
मैं आपके बायफ्रेण्ड अमित को भी फोन लगाऊ?
गीता ने कहा नही; आपने बता दिया और मेरी आंख खुल गई मै आज तक यही समझ रही थी कि,मेरे साथ रह रहा मेरा बायफ्रेण्ड सीधा सादा है। बैवकुफ भी थी। राजनीति में कुछ मुकाम हासिल हो जाएगा बाद में उससे शादी कर लुंगी और अपनी बाकी जिंदगी अच्छे से रहूंगी ।मगर आज आपके द्वारा पता चला कि, उसको मेरी सभी हरकतें पता है और मेरे साथ रंगरेलियां मनाता रहा और मेरे मोबाइल में और लेपटॉप मेरे गुप्त राज़ रख रहा था ।मै जिसे सीधा सादा भोलाभाला समझ रही थी मगर आज आपके द्वारा पता चला वो तो सबसे चतुर और चालाक निकला।
अब मैं जान गई दुसरे लोगो कि तरह वो भी मेरा इस्तेमाल कर रहा था ,और ऐस कर रहा था आज पता चला मैं सबसे बड़ी मुर्ख बनी हूं। वो इस लिए मैंने मेरे जीवन में सही लोगों कि, कदर नहीं की। अच्छे लोगों का उपयोग करती रही और उसके साथ खेलती रही और समय समय पर अच्छे लोगों जो मेरे लिए भी अच्छे थे औरो के लिए भी अच्छे थे ,उसके लिए शिकायत चुगली कर करके उसका नुकसान करती रही ।उसका ही महापाप लगा है ।और बिना कुछ कहे चली गयी.इस घटना के चंद रोज बाद मैं अपने काम से दिल्ली जा रहा था.ट्र॓न में चढ़ते वक्त मैंने गुप्ता जी और गीता को सैकेंड क्लास ए सी में चढ़ते देखा.