नई दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर पांच पूर्वी राज्यों के साथ संवाद के दौरान कहा कि पिछले दो सप्ताह में अधिकतर राज्यों में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या में कमी आई है और सकारात्मकता दर में भी गिरावट देखी गई है। लेकिन, इसके बाद भी निगरानी और सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है। इस बैठक में ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य मंत्री, प्रमुख सचिव/अतिरिक्त प्रमुख सचिव और सूचना आयुक्त शामिल हुए।
मंडाविया ने अनुरोध किया कि ये राज्य केस पॉजिटिविटी रेट पर दैनिक आधार पर नजर बनाए रखें। उन्होंने कहा कि अधिकतर राज्यों में कोरोना वायरस जांच में कमी देखी गई है, ऐसे में उन्हें आरटी-पीसीआर जांच दर बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने राज्यों को यह सलाह भी दी कि कोरोना वायरस के चलते अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या और इस बीमारी की वजह से होने वाली मौतों की संख्या पर भी लगातार नजर बाए रखें। टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट की नीति पर ध्यान दें और कोरोना अनुरूप व्यवहार का पालन सुनिश्चित करें।
इसके साथ ही मंडाविया ने राज्यों के लिए वर्तमान स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए और बेहतर बनाने के लिए शुरू किए गए आपातकालीन पैकेज ‘ईसीआरपी-2’ फंड का प्रभावी और पूरी तरह उपयोग करने की सलाह दोहराई। उन्होंने कहा कि इसके तहत राशि 31 मार्च 2022 को समाप्त हो जाएगी। ऐसे में राज्यों को इस पैकेज के इस्तेमाल पर ध्यान देना चाहिए। स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने से हमें वर्तमान कोरोना वायरस महामारी के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियों से निपटने में भी महत्वपूर्ण मदद मिलेगी।
स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने टीकाकरण को कोरोना प्रबंधन के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया और राज्यों से कहा कि पात्र आबादी का टीकाकरण बढ़ाने पर ध्यान दें। विशेष तौर पर 15 से 17 वर्ष के उन लाभार्थियों पर विशेष ध्यान दिया जाए जिन्हें टीके की दूसरी खुराक अभी लगनी बाकी है। उन्होंने कोरोना प्रबंधन में ईसंजीवनी जैसे प्लेटफॉर्म का जिक्र करते हुए टेलीकंसल्टेशन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने राज्यों को यह सुझाव दिया कि वह हर जिला अस्पताल में टेलीकंसल्टेशन की सुविधा स्थापित करने के लिए काम कर सकते हैं।