मैहर धाम की शारदा माई और गुरूजी की महिमा निराली

शारदेय नवरात्र हो वासंतेय नवरात्र या फिर हों आम दिन। यहां जिला मुख्यालय से लगभग 160 किलोमीटर दूर स्थित मैहर धाम की महिमा ही निराली है। मैहर धाम यूं तो आम दिनों में भी हजारों-हजारों श्रद्धालु मैहर वाली शारदा माता के दर्शन करने जाते हैं। लेकिन जब बात नवरात्र की हो तो यहां मातारानी का जलवा ही कुछ खास रहता है। देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु भागे-भागे चले आते हैं। पूरे नौ दिन तक मैहर में पैर रखने की जगह नहीं होती है। यहां की होटलें और धर्मशालाएं और बाजार पूरे नौ दिनों तक शवाब पर चलता है। अभी से लोगों ने होटलों में ठहरने के लिये कमरे बुक करा लिये हैं।
ऐसा ही एक अवसर गुरू पूर्णिमा के दिन भी आता है, जब मैहर धाम के प्रमुख पुजारी पंडित देवी प्रसाद जी महाराज के अनन्य शिष्य और भक्तगण गुरू पूर्णिमा पर मैहर में एकत्रित होते हैं। गुरूजी की भी महिमा निराली है। इतने ऊंचे धाम और इतनी ख्यातिलब्ध तीर्थ स्थल में बैठे गुरूजी को सिवा मैया की भक्ति के और कुछ रास नहीं आता। हर आने-जाने वाले भक्तों को वे माई-माई बोलकर आशीर्वाद देते हैं और जिस पर मन ही मन प्रसन्न हो जाएं, समझ लो उस पर साक्षात शारदा माई की कृपा हो जाती है। पुजारी जी को किसी भी चढ़ावे, प्रसाद, दक्षिणा से कोई सरोकार नहीं होता। माई और माई की भक्ति ही उनकी पूंजी और प्रसाद है। जबलपुर निवासी माई के अनन्य भक्त और गुरू जी के अनन्य शिष्य पंडित मुन्ना तिवारी, राहुल तिवारी, श्रीमती पूनम तिवारी, डॉ. अश्विनी त्रिवेदी, बबलू कोष्टा बताते हैं कि गुरूजी पूरी तन्मयता के साथ भक्तिभाव में विभोर होकर शारदा माई की पूजा और आरती करते हैं। बारहों महीने उनका एक सा नियम है। नवरात्र में तो महाराज जी उस गुफा में निवास करते हैं, जिसे माई का गर्भग्रह कहा जाता है। रात के एकांत में इतनी ऊंचाई पर जहां आज भी आल्हा ऊदल और शेर व अन्य खतरनाक जीव‘-जंतु माई का फेरा लगाने आते हैं, उनके बीच महाराज जी बिल्कुल विचलित नहीं होते। लेकिन महाराज जी इन बातों का जिक्र कभी किसी से नहीं किया करते। जिन लोगों ने अपनी आंखों से देखा, उन लोगों ने इसे किसी आश्चर्य से कम नहीं समझा। जिस तरह माई शारदा अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं, ठीक उसी तरह गुरूजी भी माई की छत्रछाया में भक्ति में लीन रहा करते हैं।

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