
देवरिया । 7 जून 2015 को संतकबीरनगर जनपद के कसरवल में निषाद आरक्षण आंदोलन हुआ था।जिसमें दलिपनगर मड़ैया-इटावा के अखिलेश निषाद की गोली लगने से मौत हो गयी थी।राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के द्वारा यह आंदोलन किया गया था। इसके अध्यक्ष डॉ.संजय कुमार निषाद ने गोरखपुर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष लिखित बयान दिया था कि अखिलेश निषाद की मौत पुलिस की गोली से नहीं बल्कि किसी आंदोलनकारी की गोली से हुई थी। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटनराम निषाद ने अखिलेश निषाद की हत्या की सीबीआई जांच कराने की उत्तर प्रदेश सरकार व गृह विभाग से मांग किया है। उन्होंने कहा कि एक नेता चर्चा में आने के लिए 10 युवकों को मरवाने की योजना बनाया था।अगर मौके पर पुलिस नहीं आती तो बड़ी घटना को अंजाम दिया गया होता।इस निषाद आरक्षण आंदोलन को जायज बताते हुए तत्कालीन सांसद व वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि निषाद समाज की मांग जायज है,निषाद समुदाय की मल्लाह, केवट,बिन्द, कश्यप जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिलना चाहिए।योगी जी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दोषी करार दिया था।आज तो केन्द्र व राज्य में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है तो अतिपिछड़ी जातियों को आरक्षण देने में देरी क्यों हो रही है?
निषाद ने कहा कि 3 जुलाई 2015 को गोरखपुर में भाजपा मछुआरा प्रकोष्ठ के द्वारा निषाद सम्मेलन आयोजित किया गया था। बतौर मुख्य अतिथि योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि निषाद जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण नहीं मिल रहा,इसके लिए अखिलेश यादव व सपा सरकार दोषी है।उन्होंने कहा था कि निषाद समाज के मान सम्मान, अधिकार व आरक्षण की लड़ाई अब भाजपा लड़ेगी।उन्होंने कहा कि योगी जी इस समय जो रवैया अपनाया रहे हैं वह एक योगी के चरित्र के बिल्कुल विपरीत है। उच्च न्यायालय इलाहाबाद पीठ के द्वारा राज्य सरकार से 5 वर्षों से काउन्टर एफिडेविट माँगा जा रहा है,लेकिन योगी सरकार काउन्टर एफिडेविट दाखिल नहीं कर रही है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने 13 अप्रैल व 20 मई,2022 को सरकार द्वारा काउंटर एफिडेविट दाखिल न करने पर कड़ी फटकार लगाई,पर सरकार के ऊपर न्यायालय के निर्देश का भी कोई असर नहीं पड़ रहा।विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए चुनावी लाभ के लिए योगी सरकार ने 20 दिसम्बर 2021 को मझवार की पर्यायवाची जातियों के सम्बंध में जानकारी के लिए आरजीआई को पत्र भेजवाये,उसका क्या जवाब आया,पता नहीं चला। आखिर योगी जी अपनी जुबान का सम्मान क्यों नहीं कर रहे?कहा कि योगी जी खुद नहीं चाहते कि निषाद जातियों को न्याय मिले।
श्री निषाद ने कहा कि सेन्सस-1961 के अनुसार मल्लाह, केवट,माँझी,राजगोंड, मुजाबीर व गोंड़ मझवार अनुसूचित जाति में शामिल मझवार की पर्यायवाची व वंशानुगत जाति नाम हैं।गोड़िया,धुरिया,कहार, धीमर,रायकवार,बाथम,राजगोंड आदि गोंड की एवं धीवर,तुरहा,तुराहा, धीमर आदि तुरैहा की पर्यायवाची व उपजाति हैं। उन्होंने चमार/जाटव की उपजातियों की भाँति मझवार,तुरैहा,गोंड़ की पर्यायवाची जातियों उपजातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाये जाने की माँग किया है।