
सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव में हुआ था. उनकी पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार और उर्वशी के लिये भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था.
सूरत भूमि, सूरत। सूरत के डिंडोली के ऊमिया मंदिर में ब्रह्मऋषि एकता परिषद ट्रस्ट द्वारा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्म जयंति मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथी आशुतोष कुमार उपस्थित लोगों को रामधारी सिंह दिनकर का संक्षप्ति परिचय दिया। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ‘ हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। ‘दिनकर’ स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद ‘राष्ट्रकवि’ के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। इसमें कवि दिनकर के चित्रपट पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर प्रबुद्धजनों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
वहीं, उनके जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाल कर उन्हें नमन किया।
रामधारी सिंह दिनकर स्वभाव सेसौम्य और मृदुभाषी थे लेकिन जब बात देश के हित-अहित की आती थी तो वो बेबाक टिह्रश्वपणी से कतराते
नहीं थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रामधारी सिंह दिनकर को राज्यसभा के लिए नामित किया लेकिन बिना लाग लपेट के उन्होंने देशहित में नेहरू के खिलाफ आवाज बुलंद करने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में आशुतोष कुमार संजय राय बीएन राय उपस्थित थे कार्यक्रम का आयोजन सुधीर सिंह, अजय राय, धनंजय राय उर्फ बबलू रंजीत सिंह, अवधेश सिंह, तथा तमाम पदाधिकारियों द्वारा आयोजित किया गया था।