रामेश्वरम । कोरोना के कहर और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से रामेश्वरम बंदरगाह के मछुआरों को दोहरा झटका लगा है।लॉकडाउन की वजह से रामेश्वरम में 700 से अधिक मछली पकड़ने वाली नावों को खाली खड़े रखने इन मछुआरों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा है। इन 700 नावों में 550 बड़ी नावें और 150 छोटी नावें शामिल हैं। ये नावें लंबे समय से तट के किनारे स्थिर हैं। मछुआरों के नेता सगयाराज ने कहा,हमें रोज 20,000 से 40,000 रुपये का नुकसान हो रहा है। डीजल की कीमतें अब 98 रुपये तक पहुंच गई हैं। डीजल की कीमतें इन नावों के लिए बड़ी मुसीबत बनी हुई है। यहां बड़ी नावों में एक दिन में 600 रुपये से 1000 रुपये तक का डीजल लग जाता है, जबकि छोटी नावों में डीजल की खपत 250 रुपये से 500 रुपये तक होती है। रामेश्वरम क्षेत्र के मछुआरों को लगभग 300 किलो प्रॉन, 150 किलो सीप, 20 किलो केकड़ा, 300 किलो ज्वार मिलता है।
समुद्र में जाते समय मछुआरों को बर्फ, तेल, डीजल, नमक आदि को साथ लेकर जाना होता है। साथ ही ये मछुआरे समुद्र में लंबे समय तक रहते हैं। मछुआरों का कहना है कि उन्हें हर बार की यात्रा पर 10,000 रुपये से 15000 रुपये खर्च आता है।
मछुआरों ने कहा कि जब ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं, साथ ही आवश्यक वस्तुओं के दाम भी बढ़ रहे हैं लेकिन मछलियों की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है। साथ ही कहा कि श्रीलंकाई मुद्दा चिंता का एक और कारण है। बता दें कि हाल ही में मछुआरे श्रीलंकाई नौसेना द्वारा जाल काटने और यहां तक कि समुद्री सीमा में मछली पकड़ने वाले भारतीय मछुआरों पर गोलियां चलाने की घटनाओं की रिपोर्ट कर चुके हैं। इन परेशानियों से घिरे मछुवारों ने मोदी सरकार से कहा, ‘हम केंद्र सरकार से हमारी दुर्दशा को समझने और हमारी मदद करने का अनुरोध करते हैं। अगर यह जारी रहा,तब हमारे पास पारंपरिक तरीके से मछली पकड़ने के काम को बंद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा, जो हमारे यहां पीढ़ियों से चला आ रहा है।