नई दिल्ली । कोरोना की दूसरी लहर ने भारत को गहरा आघात दिया है। अस्पतालों में भारी भीड़ है। मरीजों को बेड के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। मेडिकल ऑक्सीजन और जीवनर रक्षक दवाईयों की कमी के करण कई मरीजों की जान चली गई। इतना ही नहीं, जान जाने के बाद परिजनों को शव के अंतिम संस्कार के लिए भी घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कई देश भी भारत की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए हैं। भारत सरकार ने दुनिया के विभिन्न देशों से ऑक्सीजन जेनरेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर सहित अन्य जरूरी मेडिकल उपकरण और दवाईयां मंगा रही है। उम्मीद की जा रही है कि मई के मध्य तक भारत में मेडिकल ऑक्सीजन आपूर्ति संकट कम हो जाएगी। एक शीर्ष उद्योग के कार्यकारी ने बताया कि उत्पादन में 25 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। साथ ही परिवहन के बुनियादी ढांचे मजबूत होने से अब ऑक्सीजन की मांग का सामना करने के लिए देश तैयार है। नई दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में दर्जनों अस्पतालों में इस महीने मेडिकल ऑक्सीजन की कमी देखी गई। देश के सबसे बड़े निर्माता लिंडे पीएलसी के मोलॉय बनर्जी ने कहा है कि भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की खपत सामान्य स्तर से आठ गुना अधिक हो गई है। इस महीने यह लगभग 7,200 टन प्रतिदिन है। उन्होंने कहा कि लिंडे इंडिया और प्रैक्सेयर इंडिया और अन्य आपूर्तिकर्ता अगले महीने के मध्य तक प्रति दिन 9,000 टन से अधिक मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन करने में सक्षम हो जाएंगे। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि मई के मध्य तक हमारे पास निश्चित रूप से ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर होगा जो हमें देश भर में इस मांग को पूरा करने में समर्थ होगा।” बनर्जी ने कहा कि लिंडे के साथ मिलकर भारत लगभग 100 क्रायोजेनिक कंटेनर का आयात कर रहा था। कुछ को भारतीय वायु सेना के विमानों द्वारा उड़ाया जा रहा है। प्रत्येक कंटेनर में 80 से 160 टन तरल ऑक्सीजन कई शहरों में पहुंचाना संभव हो पाएगा।