सूरतभूमि, सूरत। सूरत शहर के लिंबायत जोन के डिंडोली गोड़ादरा विस्तार में कोरोना काल में भी बड़ी तेजी से अवैध बांधकाम किए जा रहे हैं। बताया जाता है कि जिस समय में अधिकारी किसी भी आम नागरिक से मिलना नहीं चाहते थे उस समय में सिर्फ अवैध बांधकाम करने वालों की मीटिंग चलती थी। जिसके आधार पर अवैध बांधकाम करने वाले तेजी से अपना बांधकाम करते थे और काम पूरा होने से पहले आकारणी अधिकारी चुपचाप उसकी आकारणी कर देते थे। इस तरह धीरे-धीरे पूरे विस्तार में जो अवैध बांधकाम का निर्माण कार्य किया गया एसा लगता हैं कि उसकी फंडिंग टोटल मनपा अधिकारियों तथा भाजपा नेताओं की तिजोरी में जाता था। जिस कारण इन लोगों की तिजोरी हमेशा भरी रहती थी बताया जाता है कि हिटलर शाही कि इस सरकार ने धीरे-धीरे आम जनता को गुलाम बना दिया है । यह कैसा सिस्टम और मॉडल है जिसका नमूना पूरे देश में लागू किया जा रहा है यानी पूरे देश की जनता को गुलाम बनाने का रास्ता अपनाया जा रहा है। पिछले कई महीने से गोड़ादरा के आस्तिक नगर 5 में बने स्कूल तथा ऋषि नगर में बनी 40 से 50 दुकानों तथा श्रीजी नगर विभाग 1 में ग्राउन्ड + 3 माड़ के बने इस अपार्टमेंट की हजारों फरियाद होने के बावजूद भी यह मोटी चमड़ी के भ्रष्ट अधिकारी और भाजपा नेता के कान में जूं नहीं रेंगता या इनको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। यह गांधीजी के तीन बंदर की तरह बैठे रहते हैं।
ठीक इसी तरह डिंडोली में तमाम ऐसे अवैध बांधकाम थे, जैसे साईं नगर की दुकानें पहले खुद अधिकारियों ने दुकान का शटर निकाल लिया था परंतु सेटिंग हो जाने के बाद फिर सटर लगा दिया गया, जिससे लीगल मान लिया गया। प्रियंका सोसाइटी में बनी दुकानों का डेमोलेशन कर दिया गया, सेटिंग हो जाने के बाद फिर तैयार हो गया यानी सेटिंग के बाद लीगल का सर्टिफिकेट दे देते हैं। अधिकारी इसी तरह महालक्ष्मी कोऑपरेटिव सोसाइटी में कब्जे के इरादे से जमीन में 10-12 मकान बनाए गए थे जिसमें एक-दो का डिमोलिशन (ध्वस्त) कर दिया गया लेकिन भाजपा के नेताओं का बना मकान था उसे नहीं तोड़ा गया ठीक इसी तरह श्री कृष्णा रो हाउस में बनी बीसो दुकान का मात्र सटर निकाल लिया गया और नाम पत्रकारों का दे दिया गया, शायद यह अधिकारियों के आसानी से घुस लेने का रास्ता था इसी तरह चलती है भ्रष्टाचार की कड़ी?