नई दिल्ली । कोरोना के दौरान अनाथ और बेसहारा हुए बच्चों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को इसतरह के बच्चों की जानकारी जुटाने की प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए। साथ ही उन्हें चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने पेश किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि मामले में कल तक आदेश अपलोड किया जाएगा। मामले की सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी। जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने कहा कि अभी इसतरह के करीब 30,000 बच्चे हैं, लेकिन यह संख्या बढ़ भी सकती है। इसकारण बच्चों की समर्पित निगरानी जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई राज्य हैं जिन्होंने पुलिस, जिला मजिस्ट्रेट आदि के साथ कार्यबल तैयार किया है। अभी कोरोना केस की संख्या कम हुई है। राज्य इस पर ध्यान केंद्रित करें। जब वे एनसीपीसीआर वेबसाइट पर डाटा हासिल करते हैं,तब भोजन और आश्रय भी प्रदान करना चाहिए। साथ ही केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली और पश्चिम बंगाल के द्वारा इसतरह के बच्चों की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड नहीं करने का मुद्दा उठाया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल और दिल्ली द्वारा जानकारी पोर्टल पर अपडेट नहीं करने पर नाराजगी जाहिर है। साथ ही कहा है कि जब भी आपको जानकारी मिले,तब उस पोर्टल पर अपलोड करें। बच्चों की इन जरूरतों पर ध्यान दें, आदेशों के लिए इंतजार न करें। सुनिश्चित करें कि इन योजनाओं को लागू किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इसतर के बच्चों की पहचान करने के शुरआती दौर में हैं। सभी राज्यों को बाल स्वराज पोर्टल तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है। सीडब्ल्यूसी की सिफारिशों पर विचार किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि अभी 6 महीने के लिए अग्रिम राहत दी जा रही है।75 जिलों में से 72 जिलों में प्रक्रिया को पूरा किया जा चुका है।जिला स्तर पर टास्क फोर्स हर 15 दिन पर बैठक करती है। लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।