तीन कृषि कानून वापस, पीएम बोले- हमारी नीयत साफ थी, हम किसानों को समझा नहीं पाए

नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया। यह अहम घोषणा पीएम से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कही। पीएम मोदी ने कहा कि हम किसानों को समझा नहीं पाए। हमारी नीयत साफ थी, पवित्र थी लेकिन हम शायद समझा नहीं पाए, हमारी तपस्या में कमी रह गई। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कृषि और किसानों की भलाई के लिए तमाम बड़े फैसले किए। पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान से पहले किसानों के हितों में लिए गए अपनी सरकार के बड़े फैसलों की फेहरिस्त भी गिनाई। ‘न जाने कितनी पीढ़िया जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन सपनों को पूरा करने का भरपूर प्रयास कर रहा है। साथियो, अपने 5 दशक के सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की परेशानियों को, उनकी चुनौतियों को बहुत करीब से देखा और महसूस किया है। इसलिए जब देश ने मुझे 2014 में पीएम के रूप में सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।

साथियो, इस सच्चाई से बहुत से लोग अनजान हैं कि देश में 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन छोटे किसानों की संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी पूरी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है। यही उनकी जिंदगी होती है और इस छोटी सी जमीन के सहारे ही वे अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों में होने वाला बंटवारा इस जमीन को और छोटा कर रहा है, इसलिए देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत इन सभी पर चौतरफा काम किया है। सरकार ने अच्छी क्वॉलिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम-कोटेड यूरिया, सॉइल हेल्थ कार्ड, माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा। हमने 22 करोड़ सॉइल हेल्थ कार्ड किसानों को दिए। इस वैज्ञानिक अभियान के कारण एग्रीकल्चर प्रोडक्शन भी बढ़ा। हमने फसल बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाया। इसके दायरे में ज्यादा किसानों को लाए। आपदा के समय ज्यादा से ज्यादा किसानों को आसानी से मुआवजा मिल सके, इसके लिए भी पुराने नियम बदले। इसके चलते बीते 4 सालों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा हमारे किसान भाई-बहनों को मिला है। हम छोटे किसानों और खेत में काम करने वाले श्रमिकों तक बीमा और पेंशन की सुविधा भी ले आए। छोटे किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सीधे उनके बैंक खाते में एक लाख 62 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए।
किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए। देश ने अपने रूरल मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया। हमने एमएसपी तो बढ़ाई ही, साथ में रेकॉर्ड संख्या में सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए। हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं। देश की एक हजार से ज्यादा मंडियों को इनाम योजना से जोड़कर हमने किसानों को कहीं से भी अपनी उपज बेचने का एक प्लेटफॉर्म दिया। इसके साथ ही हमने देशभर की कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण के लिए भी करोड़ों रुपये खर्च किए। आज केंद्र सरकार का कृषि बजट 5 गुना बढ़ गया है। हर वर्ष सवा लाख करोड़ रुपये से अधिक कृषि पर खर्च किए जा रहे हैं। 1 लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के माध्यम से गांव और खेत के नजदीक भंडारण इसकी व्यवस्था, कृषि उपकरण जैसी अनेक सुविधाओं का विस्तार ये सारी बातें तेजी से हो रही हैं। छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए किसान उत्पादन संगठन बनाने का अभियान भी जारी है। इस पर भी करीब 7 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। माइक्रो इरिगेशन फंड के आवंटन को भी दोगुना करके दस हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। हमने क्रॉप लोन भी दोगुना कर दिया और इस वर्ष 16 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।
अब पशुपालन और मछली पालन से जुड़े हमारे किसानों को भी किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलना शुरू हो गया है। हमारी सरकार किसानों के हित में हर संभव कदम उठा रही है। लगातार एक के बाद एक नए कदम उठाती जा रही है। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरे, उनकी सामाजिक स्थिति मजबूत हो, इसके लिए पूरी ईमानदारी से काम हो रहा है। किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में 3 कृषि कानून लाए गए थे। मकसद ये था कि देश के किसानों को खासकर छोटे किसानों को और ताकत मिले। उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। वर्षों से यह मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, किसान संगठन लगातार कर रहे थे। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन भी किया था। इस बार भी संसद में इस पर चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए। देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत और समर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं। धन्यवाद देना चाहता हूं।
साथियो, हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव-गरीब के उज्ज्वल भविष्य के लिए पूरी सत्यनिष्ठा से, किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से और नेक नीयत से यह कानून लेकर आई थी लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध किसानों के हित की बात हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। भले ही किसानों का एक वर्ग ही विरोध कर रहा था लेकिन फिर भी ये हमारे लिए महत्वपूर्ण था। कृषि अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें समझाने का भरपूर प्रयास किया। हम पूरी विनम्रता से, खुले मन से उन्हें समझाते रहे। अनेक माध्यमों से व्यक्तिगत और सामूहिक बातचीत भी होती रही। हमने किसानों की बातों और उनके तर्क को समझने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी। जिन प्रावधानों पर ऐतराज था, सरकार उन्हें बदलने के लिए भी तैयार हो गई। दो साल तक हमने इन कानूनों को सस्पेंड करने का भी प्रस्ताव दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट भी चला गया। ये सारी बातें देश के सामने हैं। मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही हुई होगी जिसके कारण दीये के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। आज गुरुनानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। यह समय किसी को भी दोष देने का नहीं है। आज मैं आपको, पूरे देश को ये बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करेंगे….एमएसपी को और अधिक कारगर, प्रभावी बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान, कृषि वैज्ञानिक और एक्सपर्ट होंगे। मैं गुरु गोविंद सिंह जी की भावना में अपनी बात समाप्त करूंगा- देहि शिवा वर मोहि इहै, शुभ करमन ते कबहूं न टरूं।’

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