सूरत| केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की विशेष उपस्थिति में बुधवार को सूरत के हज़ीरा स्थित कृषक भारती को-ऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) के 350 करोड़ रुपए के ख़र्च से तैयार होने वाले तथा दैनिक 2.50 लाख लीटर उत्पादन क्षमता वाले बायोएथेनॉल प्रोजेक्ट का शिलान्यास करते हुए कहा कि एथेनॉल के मिश्रण के कारण क्रूड ऑइल के आयात ख़र्च में 46000 करोड़ रुपए की बचत हुई है। इसका सीधा अर्थ यह है कि गन्ना, मक्का, धान जैसी फ़सलों का उत्पादन करने वाले किसानों के परिश्रम के फल के रूप में यह 46000 करोड़ रुपए की राशि उन तक पहुँची है। इस अवसर पर शाह ने घोषणा की कि सहकारिता क्षेत्र को प्रोत्साहन देने तथा ऑर्गेनिक उत्पादों के निर्यात के लिए मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी का निर्माण किया जाएगा। आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हज़ीरा में कृभको टाउनशिप स्थित ओपन एयर थियेटर में आयोजित सहकारिता सम्मेलन-सह-कृभको बायोएथेनॉल प्रोजेक्ट के शिलान्यास के अवसर पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोजेक्ट के कारण किसानों से बड़े पैमाने पर मक्के की ख़रीदारी की जाएगी, जो उनके लिए आय के नए मार्ग खोलेगी तथा मक्का, गन्ना, धान पकाने वाले किसानों की आर्थिक समृद्धि के द्वार खुल जाएँगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा है और पाँच माह पहले ही आधा लक्ष्य यानी 10 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि एथेनॉल मिश्रण से देश के राजकोष को वर्ष 2025 तक 1 लाख करोड़ रुपए का लाभ होगा। उन्होंने कहा कि देश के निर्धन, पीड़ित, वंचित, शोषित, दलित, पिछड़े समुदायों को मुख्य धारा में लाने का एकमात्र माध्यम सहकारिता क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को वेग देने के लिए देश के सहकारिता संस्थानों तथा उद्योगों को सस्टेनेबल तथा प्रोडक्टिव बनाने के लिए निरंतर कार्य हो रहा है। अमित शाह ने कहा कि बायोफ़्यूल में भारत विश्व में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता तथा आत्मनिर्भरता के साथ वेस्ट यानी कूड़े का भी महत्वपूर्ण उपयोग हो रहा है। आज देश में रिसाइकलिंग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। ऐसे ही प्रयासों में बायोएथेनॉल का नाम भी जुड़ा है। इससे अनेक साधारण किसान परिवारों को आर्थिक लाभ होने के साथ देश को फ़्यूल सेक्टर में अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और देश की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा व नई गति का संचार होगा।