देश के युवा अपनी मातृभाषा तथा राजभाषा को स्वीकार करें : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह

सूरत | 14 सितंबर हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीनस्थ राजभाषा विभाग द्वारा केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बुधवार को सूरत में ‘हिन्दी दिवस समारोह 2022’ तथा ‘द्वितीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ आयोजित हुआ। इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि सूरत की पावन भूमि पर से देश में सर्वप्रथम वीर नर्मद ने भाषाओं के महत्व को उजागर किया था। वीर नर्मद ने गरवी गुजरात (गौरवशाली गुजरात) का सपना देकर अंग्रेज़ों से देश का व्यवहार हिन्दी में चलाने का आग्रह किया था। श्री शाह ने कहा कि सूरत उत्साह तथा मनोरथों को सिद्ध करने वाली भूमि है। बच्चों को स्वभाषा (मातृभाषा) तथा राजभाषा में शिक्षा देने की हिमायत करते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर सभी लोग साथ मिल कर आगामी 25 वर्षों में अपनी स्वभाषाओं के माध्यम से देश को सर्वोच्च शिखरों तक ले जाने का संकल्प करें। उन्होंने कहा कि हमारी स्थानीय भाषाएँ तथा राजभाषाएँ विश्व की सर्वाधिक समृद्ध भाषाएँ हैं। हिन्दी जन साधारण की राजभाषा है और उसे आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दिए जाने पर बल दिया गया है। नई शिक्षा नीति में यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि मेडिकल, साइंस, टेक्निकल, इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम भी मातृभाषा में पढ़ाए जाएँ। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस नीति से आगामी समय में भाषाओं के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनेगा। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति; हमारे इतिहास तथा हमारी अनेक पीढ़ियों के साहित्य सृजन को समझना हो, तो राजभाषा को जानना आवश्यक है। भारत देश के युवाओं में असीम क्षमताएँ विद्यमान हैं। उन्होंने देश के युवाओं से अपनी मातृभाषा तथा राजभाषा को स्वीकार करने का अनुरोध किया। उन्होंने बच्चों के स्वर्णिम भविष्य के लिए घर में बातचीत की भाषा के रूप में अपनी मातृभाषा को अपनाने का भी अनुरोध किया। शाह ने कहा कि भारत अनेक भाषाओं से समृद्ध देश है। भाषाओं के माध्यम से लोग एक-दूसरे के साथ सरलता से जुड़ते हैं। हिन्दी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है, प्रतिस्पर्धी नहीं। उन्होंने कहा कि हिन्दी की समृद्धि से सभी भाषाएँ समृद्ध बनेंगी। हिन्दी को लोकभोग्य बनाना आवश्यक है। उन्होंने प्रत्येक भाषा को जीवंत तथा समृद्ध बनाने का लक्ष्य निर्धारित करने की अपील की। उन्होंने अपने निजी अनुभव का वर्णन करते हुए कहा, “मेरी पढ़ाई गुजराती माध्यम में हुई। इस कारण मैं सरलता से हिन्दी बोल सकता हूँ।” उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता के लिए अपनी मातृभाषा तथा हिन्दी भाषा का उपयोग किया था। हिन्दी हमेशा समावेशी भाषा रही है। उन्होंने स्वभाषा के साथ राजभाषा का महत्व भी स्वीकार करने की अपील की।

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