
पटना । बिहार की पार्टी लोजपा में बगावत के बीच बुधवार को चिराग पासवान ने प्रेसवार्ता कर कहा कि हालिया घटना परेशान करने वाली है। उन्होंने कहा कि हमने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला लिया और हम कामयाब रहे। भले ही हमें सीट नहीं मिली, लेकिन हम 6 प्रतिशत वोट हासिल करने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी, उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था।
चिराग ने कहा कि पिता की मौत के बाद चुनाव में उतरना सबसे कठिन था। अपने चाचा पशुपति पारस पर हमला करते हुए कहा कि कुछ लोग पार्टी के लिए संघर्ष नहीं करना चाहते हैं। उन लोगों ने चुनाव के दौरान पार्टी के लिए कुछ नहीं किया। मेरी पार्टी के कई और सांसद अपने व्यक्तिगत चुनाव में व्यस्त थे। चिराग ने साफ तौर पर कहा कि एलजेपी को पहले भी तोड़ने की कोशिश हुई।हमारी पार्टी ने नीतीश कुमार के सामने घुटने नहीं टेके।उन्होंने कहा कि हमने चाचा से लगातार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया। चाचा ने बिहार चुनाव प्रचार में साथ नहीं दिया। मेरे पीठ पीछे मेरे खिलाफ साजिश हुई है। उन्होंने कहा कि मैं लगातार कोशिश करता रहा कि पार्टी और परिवार दोनों को मैं एकजुट रहे।
चिराग ने कहा कि भविष्य में कानूनी लड़ाई लड़नी होगी। पार्टी ही मेरा परिवार है। पार्टी में अनुशासन की जरूरत है। अब मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि विवाद को बंद कमरे में सुलझाना चाहता था। चाचा कहते,तब मैं उन्हें संसदीय दल का नेता बनवा देता लेकिन उन्होंने जो तरीका अपनाया वह गलत है। पार्टी के संविधान के अनुरूप नहीं है। पापा ने पार्टी को बहुत संघर्ष के साथ बनाया, गरीबों की आवाज बनना चाहते थे। उन्होंने कहा कि मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं, मैं शेर का बेटा हूं। जब मैं अकेले चुनाव लड़ने में नहीं डरा,तब अब भी नहीं डरूंगा। उन्होंने आरोप लगाया कि जदयू ने दलित-महादलित को भी बांटा।