Warning: call_user_func_array() expects parameter 1 to be a valid callback, function 'slake_boastfully_midwife' not found or invalid function name in /home/suratbhu/public_html/wp-includes/class-wp-hook.php on line 324
प्रभु महावीर के जीवन का अनमोल संदेश "स्वार्थी नहीं, परोपकारी बनें": आचार्य जिनसुन्दर सूरीश्वरजी म. साहेब - सूरत भूमि हिंदी न्यूज़

सुरत भूमि, सूरत| श्री नानपुरा जैन संघ-दिवाली बाग में युग प्रधान आचार्य सम पू. पं. प्रवर श्री चन्द्रशेखरविजयजी म. साहेब के शिष्य रत्न प्रवचन प्रभावक पूज्यपाद आचार्य देव श्री जिनसुन्दर सूरीश्वरजी म. साहब ने व्याख्यान में कहा कि परोपकार स्वार्थ से अधिक शक्तिशाली है। दुनिया में जितने भी लोग महान हुए हैं उन्होंने सिर्फ दूसरों के बारे में ही सोचा है। उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरे प्राणियों के दुख दूर करने में बिताया है। जबकि जिन लोगों ने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए प्रयास किए वे भले ही दुनिया में मशहूर हुए हों लेकिन नायक के रूप में नहीं बल्कि खलनायक के रूप में। इसलिए परोपकार की इस भावना को जीवन में अवश्य धारण करना चाहिए।

एक गरीब मां अपने इकलौते बेटे की शादी करना चाहती थी, लेकिन बिना बंगला-गाड़ी-संपत्ति के अपनी बेटी को कौन देता। तो माँ ने अपने बेटे को एक आश्रम में त्रिकाल ज्ञानी गुरु के पास सवाल पूछने भेजा कि तुम्हें किस लड़की से शादी करनी चाहिए और तुम्हें बंगला-गाड़ी-संपत्ति कैसे मिलेगी? वह बेटा सुबह जल्दी चला गया और शाम को एक गांव में शेठानी के घर रुका, शेठानी ने भी कहा- मेरी इकलौती संतान बेटी गूंगी है, तो वह कब बोलेगी और उसका विवाह किसी युवक से होगा? क्या वह पूछ सकता है? अगले दिन शाम को वह खेत में किसान के पास रुका, किसान ने भी कहा- मेरे खेत के बीच में धान क्यों नहीं उग रहा है? मुझे पूछकर बताओगे? तीसरे दिन वह युवक अपना, शेठानी का और किसान का कुल तीन प्रश्न लेकर आश्रम पहुंचा । लेकिन त्रिकाल ज्ञानी गुरु ने उससे कोई दो प्रश्न पूछने के लिए कहा, तब युवक ने अपने प्रश्न को दबाते हुए किसान और शेठनी से प्रश्न पूछा। वापस लौटने पर उसने किसान से कहा कि धान नहीं उग रहा है क्योंकि तुम्हारे परदादा ने खेत के बीचो बीच 100 किलो सोना गाडा हैं। किसान ने जमीन से 100 किलो सोना निकाला और पहला 50 किलो सोना युवक को तोहफे में दे दिया. अगले दिन युवक ने शेठानी से कहा कि उसकी पुत्री जिस युवक को देख कर बात करने लगे उसी युवक से उसका विवाह होना चाहिए और संयोग से बेटी उस युवक को देखकर बात करने लगी, इसलिए शेठानी ने उसकी शादी उस युवक से कर दी। युवक ने अपने प्रश्न का त्याग किया, इसलिए उसे 50 किलो सोना भी मिला और उसकी शादी करोड़ों की संपत्ति वाले मलकान शेठानी की एकलौती बेटी से हुई। इसलिए हमेशा स्वार्थ को दूर रखें और परोपकार को सर्वोपरि रखें।

Our latest Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You have successfully subscribed to the newsletter

There was an error while trying to send your request. Please try again.

(By subscribing, you agree to receive updates, promotions, and important information from us. You can unsubscribe anytime.)